Description
किताब के बारे में: प्रबन्ध.प्रतिमा सूर्यकान्त त्रिपाठी श्निरालाश् की एक महत्वपूर्ण गद्य रचना है जिसमें उन्होंने जीवन समाज साहित्य और राजनीति के विविध पक्षों पर अपने स्वतंत्र विचार प्रस्तुत किए हैं। यह कृति उनके चिंतन अनुभव और विद्रोही स्वर को प्रकट करती है। निराला ने परंपरागत मूल्यों को चुनौती देते हुए नए सामाजिक और साहित्यिक दृष्टिकोण को स्वर दिया। इसमें उनकी आलोचनाए सामाजिक दृष्टि और मानवीय सरोकार गहराई से प्रकट होते हैं। प्रबन्ध.प्रतिमा विचारशील निबंधों का ऐसा संकलन है जो पाठक को आत्ममंथन और समाज के प्रति जागरूकता की दिशा में प्रेरित करता है।

