Description
किताब के बारे में: परिमल (1930) सूर्यकान्त त्रिपाठी श्निरालाश् का एक प्रसिद्ध काव्य संग्रह है जो छायावादी युग की उत्कृष्ट रचनाओं में गिना जाता है। इस संग्रह में भावुकता कल्पना रहस्य सौंदर्य और आत्माभिव्यक्ति की प्रधानता है। निराला ने परिमल में सामाजिक अन्याय आत्मसंघर्ष और व्यक्ति की आंतरिक पीड़ा को काव्यात्मक ढंग से व्यक्त किया है। कविताएँ नवजागरण विद्रोह और आध्यात्मिक चेतना का स्वर लिए हुए हैं। इसमें भाषा सहज लयात्मक और सजीव है जो पाठक को गहराई से छूती है। परिमल छायावाद की कोमलता के साथ.साथ यथार्थ और मानवतावाद का संतुलित रूप प्रस्तुत करता है।


