Description
“वैसे आस्था तुझमें सच में ही भगवान का अंश है; मुझे क्यों नहीं सूझा…” और बाहर से कैब ली-। शनिवार का दिन…सड़कें भी खुली मिलीं-। आध धण्टे में वे दोनों चार में पाँच मिनट पहले पहुँचे होटल इम्पीरीयल! डाइनिंग हॉल, जो बाहें फैलाए आगन्तुकों की इन्तज़ार में था- इक्का-दुकका टेबल पर बजती क्राकरी की झंकार से, बार-बार सुस्ताते हुए, जाग जाता। दोनों ने ही लॉग स्कर्ट और मिंक कोट पहन रखा था और सर पर फ्रेंच हैट…।