Description
अपने पराये –
अपनी संवेदनशीलता, सौन्दर्यबोध और परिष्कृत रुचि के कारण सिन्धी साहित्य में कृष्ण खटवाणी का अप्रतिम स्थान है। उनका ‘अपने पराये’ चौदह कहानियों का संग्रह है। इन कहानियों में मानव जीवन के कितने ही आयाम उद्घाटित हुए हैं। कहीं प्रकृति के साथ मनुष्य के रागात्मक सम्बन्ध हैं तो कहीं एकान्तिक क्षणों में आन्तरिक लय पर चलते हुए अपने अस्तित्व की तलाश।
एक ओर शान्ति निकेतन में चित्रकला और साहित्य का अध्ययन, तो दूसरी ओर उसी के समानान्तर भारत-विभाजन की त्रासदी ने खटवाणी को रचनात्मक संवेदनशीलता देने के साथ जिस मर्मान्तक पीड़ा से साक्षात्कार कराया उसे इन कहानियों में सार्थक अभिव्यक्ति मिली है।
कृष्ण खटवाणी की कहानियों की एक विशेषता यह भी है कि वे मनुष्य के सुख-दुख, प्रेम, मिलन और बिछोह, एकाकीपन और दुर्बलताओं को बिना किसी वैचारिक आडम्बर के सहज रूप में दर्शाती हैं।
हमें विश्वास है कि ‘अपने पराये’ संकलन की ये कहानियाँ हिन्दी पाठक का, उनकी मूल भाषा की तरह भरपूर रसास्वादन करायेंगी।




