Description
किताब के बारे में: रत्नाकर अर्थात गोलोकवासी श्री जगन्नाथदास रत्नाकर के सम्पूर्ण काव्यों का संग्रह सम्पादक श्यामसुन्दर दास हिन्दी साहित्य के महान कवि जगन्नाथदास रत्नाकर की समस्त काव्य रचनाओं का संग्रह है यह ग्रंथ भक्ति नीति श्रृंगार और दर्शन से समृद्ध रचनाओं को एकत्र करता है जो ब्रजभाषा और खड़ी बोली की काव्य परंपरा को जीवंत बनाते हैं श्यामसुन्दर दास ने इन रचनाओं का गूढ़ संपादन करते हुए रत्नाकर की भाव.गंभीरता भाषा.शैली और काव्य.कला को उजागर किया है यह संग्रह न केवल एक कवि की साधना का दस्तावेज है बल्कि हिंदी काव्य.संस्कृति का अनमोल धरोहर भी है जो भक्तिपरक साहित्य को नई दृष्टि देता है


