Description
किताब के बारे में: यशोधरा मैथिली शरण गुप्त की एक मार्मिक खंडकाव्य रचना है जिसमें गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा की दृष्टि से त्याग विरह और आत्मबलिदान की गाथा प्रस्तुत की गई है। रचना में यशोधरा एक सामान्य पत्नी नहीं बल्कि एक उच्च विचारों वाली नारी के रूप में चित्रित होती हैं जो पति के वैराग्य को त्याग नहीं बल्कि एक महान उद्देश्य मानती हैं। इसमें नारी के अंतर्मन की पीड़ा संयम और आत्मबल का गहन चित्रण है। यह काव्य केवल विरह नहीं बल्कि नारी की सहनशीलता आत्मबल और आत्मसमर्पण की एक अमर मिसाल है जो पाठक को गहराई से आंदोलित करती है।


