Description
“तेरा तो ध्यान हमेशा से ही आशंकित रहता है और इसीलिए अशुभ ही सोचती है। अब तो बदल…यहाँ आये भी तुझे पाँच साल होने को आये।” । “अच्छा मेरी अम्मा…तू ही बता…?” ‘मेरा मन कहता है- हो ना हो… शोभित सर और मैम ही होगी…और हमारी दीदियाँ भी हो सकती हैं। मि. जॉनसन और मि. शर्मा तो पता नहीं कब तक लौटें-। तू तैयार हो जा। अभी दस मिनट में चलते हैं। अभी तो मेड को भी रोक सकते हैं…ओ.के. क्विक…” आस्था बहुत उत्साहित थी।