Description
किताब के बारे में: चतुरी चमार सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की एक प्रभावशाली सामाजिक.यथार्थवादी रचना है जिसमें निम्न जाति के एक जागरूक स्वाभिमानी और मेहनती व्यक्ति चतुरी के माध्यम से समाज की जातिगत विषमता और अन्याय पर तीखा प्रहार किया गया है चतुरी अपने आत्मसम्मान ईमानदारी और श्रमशीलता से उच्च वर्ण के लोगों की संकीर्ण मानसिकता को चुनौती देता है निराला ने इस कहानी के माध्यम से यह दिखाया कि मनुष्य की पहचान उसकी जाति नहीं बल्कि उसके कर्म सोच और आत्मबल से होती है यह रचना समाज में व्याप्त भेदभाव को उजागर करती है और समता समानता और मानवता का संदेश देती है

