Description
किताब के बारे मेः रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखित गोरा (गोरा) एक बंगाली उपन्यास है जो भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान पहचान, राष्ट्रवाद और आध्यात्मिकता के विषयों की खोज करता है। कहानी गोरा नामक एक युवा व्यक्ति पर आधारित है, जो हिंदू राष्ट्रवाद और पारंपरिक मूल्यों के प्रतिगहराई से प्रतिबद्ध है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, गोरा व्यक्तिगत पहचान, जाति और आस्था के सवालों से जूझता है, जो उसे एक गहन आत्म-खोज की ओर ले जाता है। उपन्यास आधुनिक और पारंपरिक मान्यताओं, सामाजिक सुधार और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के संदर्भ में देशभक्ति की जटिलताओं के बीच संघर्ष को संबोधित करता है। टैगोरा द्वारा इन विषयों की खोजने गोरा को भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण कृति बना दिया है।