Description
किताब के बारे में: वयं रक्षामः आचार्य चतुरसेन का एक प्रेरणादायक और राष्ट्रभक्ति से ओत.प्रोत ऐतिहासिक उपन्यास हैए जिसका शाब्दिक अर्थ है ष्हम रक्षा करेंगेष्। यह उपन्यास प्राचीन भारत के उन योद्धा.संन्यासियों की गाथा कहता है जिन्होंने देशए धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। चतुरसेन ने इसमें वीरताए त्यागए संगठन और आत्मबल की अद्भुत मिसालें प्रस्तुत की हैं। उपन्यास भारतीय संस्कृति की रक्षा हेतु किए गए संघर्ष को दर्शाता है और आत्मसम्मानए कर्तव्य एवं राष्ट्रप्रेम को केंद्र में रखता है। यह कृति आज भी पाठकों को जागरूक और प्रेरित करने में सक्षम है।

