Description
“कबीर सही माने में इस देश के निम्न वित्त के बुनकरों और साधारण लोगों के दार्शनिक थे, जो अपने ताने-बाने और अपने घर में एकान्त भाव में बैठे अपनी जिन्दगी बिता रहे थे । उच्च वर्ण और वर्गों से अलग निम्न वर्ग और वर्ण आज नहीं तो कल अपना एक दर्शन विकसित करेंगे ही और जब ऐसा होगा तब उन्हें कबीर, दादू, रैदास… जैसे दार्शनिकों का आश्रय लेना ही पड़ेगा।”
– ठाकुर प्रसाद सिंह




