Zindagi Ki Geometry | Inspiring Stories Books In Hindi

Zindagi Ki Geometry | Inspiring Stories Books In Hindi

by K.P.S. Verma

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  • ISBN13: 9789355625663
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature
आम आदमी के स्तर पर बात करें तो विवेक का टकराव ही जीवन को अनिश्चितताओं से भर देता है और यह अनिश्चितता तब और बढ़ जाती है, जब हमको सही जानकारी से वंचित रखा गया हो, जब हमारे अपने ही समाज के समझदार लोगों के द्वारा सदियों से पाले जा रहे अंधविश्वासों से हम उबर नहीं पाते-शिक्षित होकर भी।

यदि हम पूर्वग्रहों से बाहर आ सकें, दूसरों के विचारों का खुले दिल से विश्लेषण करें और अपने विचारों से दूसरे लोगों को भी सच्चे मन से अवगत कराएँ एवं उनके अच्छे विचारों को ग्रहण करें तो उबाने वाली एकरसता नहीं, बल्कि समरसता आ सकती है समाज में, जो बड़ी बात होगी।

कहानी-संग्रह 'जिंदगी की ज्योमेट्री' की कहानियाँ अलग-अलग पृष्ठभूमि वाले लोगों के विवेक के एक अलग माहौल से, टकराव से उत्पन्न परिस्थितियों से जूझने की गाथाएँ हैं। कहीं कोई अपने विवेक के माहौल से टकराव के बाद टूट जाता है तो कहीं परेशानी की भट्ठी में तपकर और मजबूत होकर निकलता है। कहीं कोई बीच का रास्ता पकड़ लेता है, समझौता कर लेता है। माननीय संवेदना को स्पर्श करने वाली पठनीय कहानियों का संकलन।
के.पी.एस. वर्मा

जन्म एटा जिले के जलालपुर गाँव में 10 जनवरी, 1949 को हुआ। एटा के जीआईसी से इंटरमीडिएट करने के तुरंत बाद सन् 1966 में रुड़की विश्वविद्यालय के मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग के छात्र बने और ग्रैजुएशन के बाद आईआईटी कानपुर से एम.टेक. किया। सन् 1973 में बतौर इंजीनियर बोकारो स्टील प्लांट में नौकरी शुरू की। सन् 1981 में रेलवे की नौकरी में आए और विभिन्न पदों पर रहते हुए जनवरी 2009 में आरडीएसओ लखनऊ से कार्यकारी निदेशक पद से रिटायर हुए। संप्रति लखनऊ में रहते हुए लखनऊ आई सेंटर में सीईओ के पद पर कार्यरत हैं।

हिंदी में लेखन की रुचि छात्र जीवन से ही रही। इक्का-दुक्का रचनाएँ कॉलेज की पत्रिका में छपती रहीं। इसी अभिरुचि के चलते सन् 1985 में पहिया। धुरा कारखाने में राजभाषा विभाग में सचिव का अतिरिक्त कार्यभार सँभाला और दक्षिण भारतीय स्टाफ में हिंदी के प्रति रुचि जाग्रत् करने हेतु सन् 1987 में अखिल भारतीय रेल मंत्री पुरस्कार मिला।

रिटायरमेंट के बाद हिंदी लेखन को रचनात्मक धार मिली। फेसबुक पर लेख और कहानियाँ छपीं तो पाठकों की प्रतिक्रियाओं ने उत्साहवर्धन किया। तीन कहानी संग्रह 'बरगद काट दो' 'कुछ टूटने की आवाज' और 'पैरोल पर आत्मा' प्रकाशित होकर बहुचर्चित ।

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