Yogabhyas Aur Chintan

Yogabhyas Aur Chintan

by Swami Vivekananda

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  • ISBN13: 9789355213570
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature
स्वामी विवेकानंद ने भारत में उस समय अवतार लिया, जब यहाँ हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मँडरा रहे थे। पंडित-पुरोहितों ने हिंदू धर्म को घोर आडंबरवादी और अंधविश्वासपूर्ण बना दिया था। ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म को एक अलग पहचान दिलाई।

चिंतन वह द्वार है, जो हमारे लिए उसे खोलता है। प्रार्थना, औपचारिकता एवं हर प्रकार की उपासना केवल चिंतन का बाल-विहार (Kindergarten) है। आप जब प्रार्थना करते हैं तो आप कुछ चढ़ावा देते हैं। पहले एक प्रथा थी कि प्रत्येक वस्तु, व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ावा देती है। कुछ शब्दों का प्रयोग, पुष्प, प्रतिमाएँ, मंदिर, ज्योति को हिलाने की प्रथा मन को उस व्यवहार तक ले जाते हैं, परंतु वह व्यवहार सदैव व्यक्ति की आत्मा के अंदर होता है, कहीं और नहीं। प्रत्येक व्यक्ति यही कर रहा है, परंतु जो वह अनजाने में कर रहा है, वही जान- बूझकर करे--यही है 'चिंतन की शक्ति।

प्रस्तुत पुस्तक में स्वामी विवेकानंद ने योगाभ्यास के माध्यम से शरीर को नीरोग कैसे रखा जा सकता है, और स्वस्थ चिंतन द्वारा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा कैसे अर्जित की जा सकती है, इस पर विस्तार से प्रकाश डाला है। अतः हर आयु वर्ग के पाठकों के लिए एक बेहद उपयोगी पुस्तक।
NA

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