Ye Hai Bambai Nagaria Hindi Translation of Bombay 3 by Jitendra Dixit

Ye Hai Bambai Nagaria Hindi Translation of Bombay 3 by Jitendra Dixit

by Jitendra Dixit

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  • ISBN13: 9789355627179
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature
ये है बंबई नगरिया' एक उपन्यास है, जो सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। ये पुरानी बंबई के एक इलाके में पले-बढ़े तीन स्कूली दोस्तों की कहानी है, जिनमें से एक हिंदू है और बाकी दोनों मुसलमान। शहर में होने वाले सांप्रदायिक दंगों से इनके आपसी रिश्ते अछूते नहीं रहते। एक दोस्त टी.वी. पत्रकार बनता है, दूसरा पुलिस अधिकारी और तीसरा धर्मांधता की चपेट में आकर आतंकी संगठन आई.एस.आई.एस. का सदस्य बन जाता है। कहानी में कुछ ऐसे घटनाक्रम होते हैं, जो जुदा हुए तीनों दोस्तों को वर्षों बाद फिर एक साथ ले आते हैं।

तीनों दोस्तों की कहानी के साथ- साथ उपन्यास मुंबई शहर के अनदेखे पहलुओं को भी पेश करता है। उपन्यास में पुरानी मुंबई में लोगों के रहन-सहन, अपराध जगत्, आतंकवाद और मायानगरी के बदरंग चेहरे की भी झलक मिलती है।

जो लोग मुंबई की तासीर को समझना चाहते हैं, यहाँ रहना चाहते हैं या फिर कुछ दिनों के लिए मुंबई घूमना चाहते हैं तो उनके लिए यह पुस्तक जरूर काम आएगी।
प्रख्यात लेखक जीतेंद्र दीक्षित एन.डी.टी.वी. से जुड़े पत्रकार हैं। मुंबई में जन्मे और पले-बढ़े दीक्षित ने बचपन में ही गैंगवार और सांप्रदायिक हिंसा को काफी करीब से देखा। इन्हीं अनुभवों ने उन्हें अपराध और हिंसक संघर्षों पर पत्रकारिता करने के लिए उन्मुख किया। दीक्षित ने अपने ढाई दशक के पत्रकारिता के सफर के दौरान 2002 के गुजरात दंगों से लेकर मुंबई अंडरवर्ल्ड का गैंगवार और 26/11 के हमलों की जमीनी रिपोर्टिंग की है। 2014 के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव पर दीक्षित की डॉक्यूमेंट्री ने 'रेड इंक अवार्ड' जीता।

2011 में दीक्षित ने न्यूयॉर्क में अमेरिकी जाँच एजेंसी एफ.बी.आई. की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध रोधी सम्मेलन में हिस्सा लिया।

'26/11: वे 59 घंटे', '35 डेज', 'वैली ऑफ रेड स्नो', 'बॉम्बे 3', 'कश्मीर 370 के साथ और बाद,' 'सबसे बड़ी बगावत' और 'अयोध्या ने कैसे बदल दी बंबई' उनकी पूर्व प्रकाशित पुस्तकें हैं, जो खासी लोकप्रिय हुईं।

पुस्तकें पढ़ने और लिखने के अलावा पर्यटन और समंदर में गोताखोरी करना दीक्षित के अन्य शौक हैं।

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