Yashodhara Jeet Gayi Novel By Rangeya Raghav
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- ISBN13: 9789349116221
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Novel
यशोथरा जीत गई में राघव ने महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और उनके संघर्ष को बड़े प्रभावशाली तरीके से पेश किया है। यशोथरा की कड़ी मेहनत, साहस और अपने सिद्धांतों के प्रति अडिगता यह दर्शाती है कि किसी भी समाज में बदलाव लाने के लिए एक व्यक्ति की हिम्मत और इच्छा शक्ति कितनी महत्वपूर्ण होती है।
इस उपन्यास के माध्यम से लेखक ने न केवल महिलाओं के अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि यह भी बताया है कि समाज में बदलाव लाने के लिए महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उपन्यास में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक मुद्दे और महिलाओं के प्रति एक नई सोच को प्रमुखता से उठाया गया है।
इस उपन्यास के माध्यम से लेखक ने न केवल महिलाओं के अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि यह भी बताया है कि समाज में बदलाव लाने के लिए महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उपन्यास में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक मुद्दे और महिलाओं के प्रति एक नई सोच को प्रमुखता से उठाया गया है।
रांगेय राघव
17 जनवरी, 1923 को आगरा में जन्म । मूल नाम टी.एन.वी. आचार्य (तिरुमल्लै नंबाकम् वीर राघव आचार्य) । शिक्षा आगरा में। सेंट जॉन्स कॉलेज से 1944 में स्नातकोत्तर और 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पीएच.डी. । हिंदी, अंग्रेजी, ब्रज और संस्कृत भाषाओं पर असाधारण अधिकार। 13 वर्ष की आयु में लेखनारंभ । 23-24 वर्ष में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद लिखे रिपोर्ताज 'तूफानों के बीच' से चर्चित ।
साहित्य के अतिरिक्त चित्रकला, संगीत और पुरातत्त्व में विशेष रुचि । साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में सिद्धहस्त। मात्र 39 वर्ष की आयु में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज के अतिरिक्त आलोचना, सभ्यता और संस्कृति पर शोध व व्याख्या के क्षेत्रों को 150 से भी अधिक पुस्तकों से समृद्ध किया। अपनी अद्भुत प्रतिभा, असाधारण ज्ञान और लेखन-क्षमता के लिए सर्वमान्य अद्वितीय लेखक । आजीवन स्वतंत्र लेखन । अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत विभिन्न कृतियाँ अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित और प्रशंसित ।
स्मृति शेष : 12 सितंबर, 1962 ।
17 जनवरी, 1923 को आगरा में जन्म । मूल नाम टी.एन.वी. आचार्य (तिरुमल्लै नंबाकम् वीर राघव आचार्य) । शिक्षा आगरा में। सेंट जॉन्स कॉलेज से 1944 में स्नातकोत्तर और 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पीएच.डी. । हिंदी, अंग्रेजी, ब्रज और संस्कृत भाषाओं पर असाधारण अधिकार। 13 वर्ष की आयु में लेखनारंभ । 23-24 वर्ष में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद लिखे रिपोर्ताज 'तूफानों के बीच' से चर्चित ।
साहित्य के अतिरिक्त चित्रकला, संगीत और पुरातत्त्व में विशेष रुचि । साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में सिद्धहस्त। मात्र 39 वर्ष की आयु में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज के अतिरिक्त आलोचना, सभ्यता और संस्कृति पर शोध व व्याख्या के क्षेत्रों को 150 से भी अधिक पुस्तकों से समृद्ध किया। अपनी अद्भुत प्रतिभा, असाधारण ज्ञान और लेखन-क्षमता के लिए सर्वमान्य अद्वितीय लेखक । आजीवन स्वतंत्र लेखन । अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत विभिन्न कृतियाँ अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित और प्रशंसित ।
स्मृति शेष : 12 सितंबर, 1962 ।