Yamini Katha
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- ISBN13: 9788188139552
- Binding: Hardcover
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): General
‘यामिनी कथा’ में यामिनी के मानसिक भँवर की अथाह गहराई, उसकी गंभीरता, उसमें सम्मिलित गोचर-अगोचर अनगिनत मानसिक संवेदना-प्रवाहों का विशद रूपायन, आधुनिक नारी के जटिल तनाव और इसी बीच किसी तरह संतुलन के लिए सफल-असफल प्रयास करने में अभिव्यक्त जिजीविषा के शक्तिपूर्ण और कलात्मक दर्शन होते हैं।
यामिनी एक अतिशय संवेदनशील नारी है, जिसकी संवेदना ने उसके अनुभव को विलक्षण धार दी है। यामिनी की अथाह वेदना के अनेक केंद्र हैं। यामिनी के दु:ख का प्रारंभ, जो कथानिविष्ट है, उसके असफल विवाह से है। अपने पति विश्वास से यदि वह कुछ अधिक चाहती है तो वह है—प्यार, जो शरीर से उत्पन्न होता हुआ भी मानसिक और आत्मिक अधिक है। परंतु उसके पूर्ण समर्पण से भी विश्वास उसे वह प्यार नहीं दे पाता, क्योंकि स्त्री की ओर उसने विशेष सम्मान की दृष्टि से कभी देखा ही नहीं। इन दोनों के बीच के संबंधों का वह असमंजस सूर्यबाला ने अनेक घटनाओं, संवादों और संवेदनात्मक दंशों से प्रकट किया है।
यामिनी की दारुण नियति से संघर्ष की गाथा का बड़ा ही करुण रूप लेखिका ने प्रत्यक्ष गोचर किया है। यामिनी के दु:ख का स्वरूप अनेक स्तरीय है। उसके आंतरिक और बाह्य संघर्ष का हृदय-विदारक चित्र लेखिका ने महीन परंतु ठोस रंग-रेखाओं से खींचा है। मोहभंग का यह दर्दनाक चित्र यामिनी की कराहों से पाठक को साझीदारी करने को बाध्य करता है।
संवेदनात्मक बदलावों के बीच यामिनी के संघर्ष की वीरगाथा भी सरकती जाती है—जो संघर्ष उसने पति की जान बचाने के लिए किया और किसी बिंदु पर अपने असफल संघर्ष की परिणति से रू-बरू होते हुए भी वह अपनी मानसिक शांति के लिए अपने को झोंक रही है।
प्रस्तुत कृति में भारतीय स्त्री-मानस का उज्ज्वल चित्र प्रस्तुत किया गया है।
यामिनी एक अतिशय संवेदनशील नारी है, जिसकी संवेदना ने उसके अनुभव को विलक्षण धार दी है। यामिनी की अथाह वेदना के अनेक केंद्र हैं। यामिनी के दु:ख का प्रारंभ, जो कथानिविष्ट है, उसके असफल विवाह से है। अपने पति विश्वास से यदि वह कुछ अधिक चाहती है तो वह है—प्यार, जो शरीर से उत्पन्न होता हुआ भी मानसिक और आत्मिक अधिक है। परंतु उसके पूर्ण समर्पण से भी विश्वास उसे वह प्यार नहीं दे पाता, क्योंकि स्त्री की ओर उसने विशेष सम्मान की दृष्टि से कभी देखा ही नहीं। इन दोनों के बीच के संबंधों का वह असमंजस सूर्यबाला ने अनेक घटनाओं, संवादों और संवेदनात्मक दंशों से प्रकट किया है।
यामिनी की दारुण नियति से संघर्ष की गाथा का बड़ा ही करुण रूप लेखिका ने प्रत्यक्ष गोचर किया है। यामिनी के दु:ख का स्वरूप अनेक स्तरीय है। उसके आंतरिक और बाह्य संघर्ष का हृदय-विदारक चित्र लेखिका ने महीन परंतु ठोस रंग-रेखाओं से खींचा है। मोहभंग का यह दर्दनाक चित्र यामिनी की कराहों से पाठक को साझीदारी करने को बाध्य करता है।
संवेदनात्मक बदलावों के बीच यामिनी के संघर्ष की वीरगाथा भी सरकती जाती है—जो संघर्ष उसने पति की जान बचाने के लिए किया और किसी बिंदु पर अपने असफल संघर्ष की परिणति से रू-बरू होते हुए भी वह अपनी मानसिक शांति के लिए अपने को झोंक रही है।
प्रस्तुत कृति में भारतीय स्त्री-मानस का उज्ज्वल चित्र प्रस्तुत किया गया है।
सूर्यबाला
जन्म : 25 अक्तूबर, 1944 को (वाराणसी)।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी)।
प्रकाशन : ‘मेरे संधि पत्र’, ‘सुबह के इंतजार तक’, ‘यामिनी कथा’, ‘दीक्षांत’, ‘अग्निपंखी’ (उपन्यास); ‘एक इंद्रधनुष’, ‘दिशाहीन’, ‘थाली भर चाँद’, ‘मुँड़ेर पर’, ‘गृह प्रवेश’, ‘कात्यायनी संवाद’, ‘साँझवाती’, ‘पाँच लंबी कहानियाँ’, ‘मानुस गंध’, ‘इक्कीस कहानियाँ’ (कहानी संग्रह); ‘अजगर करे न चाकरी’, ‘धृतराष्ट्र टाइम्स’, ‘देश सेवा के अखाड़े में’ (व्यंग्य संग्रह)।
पिछले ढाई दशकों से हिंदी कहानी, उपन्यास और हास्य-व्यंग्य में एक सुपरिचित, प्रतिष्ठित नाम। अनेक रचनाओं का अंग्रेजी, उर्दू, मराठी, बँगला, पंजाबी, तेलुगु, कन्नड़ आदि भाषाओं में अनुवाद। अनेक देशों की यात्राएँ तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता।
आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं धारावाहिकों में अनेक कहानियों, उपन्यासों तथा व्यंग्य रचनाओं का रूपांतर प्रस्तुत।
दूरदर्शन धारावाहिकों में ‘पलाश के फूल’, ‘न, किन्नी न’, ‘सौदागर दुआओं के’, ‘एक इंद्रधनुष जुबेदा के नाम’, ‘सबको पता है’, ‘रेस’ तथा ‘निर्वासित’ आदि प्रमुख हैं।
सम्मान-पुरस्कार : साहित्य में योगदान के लिए ‘प्रियदर्शिनी पुरस्कार’, ‘घनश्याम दास सराफ पुरस्कार’ तथा काशी नागरी प्रचारिणी सभा, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मुंबई विद्यापीठ, आरोही; अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, सतपुड़ा संस्कृति परिषद् आदि संस्थाओं से सम्मानित।
जन्म : 25 अक्तूबर, 1944 को (वाराणसी)।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी)।
प्रकाशन : ‘मेरे संधि पत्र’, ‘सुबह के इंतजार तक’, ‘यामिनी कथा’, ‘दीक्षांत’, ‘अग्निपंखी’ (उपन्यास); ‘एक इंद्रधनुष’, ‘दिशाहीन’, ‘थाली भर चाँद’, ‘मुँड़ेर पर’, ‘गृह प्रवेश’, ‘कात्यायनी संवाद’, ‘साँझवाती’, ‘पाँच लंबी कहानियाँ’, ‘मानुस गंध’, ‘इक्कीस कहानियाँ’ (कहानी संग्रह); ‘अजगर करे न चाकरी’, ‘धृतराष्ट्र टाइम्स’, ‘देश सेवा के अखाड़े में’ (व्यंग्य संग्रह)।
पिछले ढाई दशकों से हिंदी कहानी, उपन्यास और हास्य-व्यंग्य में एक सुपरिचित, प्रतिष्ठित नाम। अनेक रचनाओं का अंग्रेजी, उर्दू, मराठी, बँगला, पंजाबी, तेलुगु, कन्नड़ आदि भाषाओं में अनुवाद। अनेक देशों की यात्राएँ तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता।
आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं धारावाहिकों में अनेक कहानियों, उपन्यासों तथा व्यंग्य रचनाओं का रूपांतर प्रस्तुत।
दूरदर्शन धारावाहिकों में ‘पलाश के फूल’, ‘न, किन्नी न’, ‘सौदागर दुआओं के’, ‘एक इंद्रधनुष जुबेदा के नाम’, ‘सबको पता है’, ‘रेस’ तथा ‘निर्वासित’ आदि प्रमुख हैं।
सम्मान-पुरस्कार : साहित्य में योगदान के लिए ‘प्रियदर्शिनी पुरस्कार’, ‘घनश्याम दास सराफ पुरस्कार’ तथा काशी नागरी प्रचारिणी सभा, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मुंबई विद्यापीठ, आरोही; अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, सतपुड़ा संस्कृति परिषद् आदि संस्थाओं से सम्मानित।