Wafadari, Imaandari, Zimmedari | War-Room To Board-Room | Guide For Those Chasing Success In Their Work And Overcoming Life’s Challenges Hindi Translation Book
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- ISBN13: 9789347014291
- Binding: Hardcover
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Biography
वफादारी, ईमानदारी और जिम्मेदारी' ये सिर्फ शब्द नहीं, इनमें इनके अर्थ से कहीं अधिक गहराई है।
ये गुण क्या हैं?
क्या ये किसी लीडर में जन्मजात होते हैं या समय और अनुभव के साथ इनमें निखार आता है?
और फिर, एक सच्चा लीडर कौन होता है?
कॉर्पोरेट बोर्डरूम में, इस अवधारणा 'नेतृत्व' चाहे रणभूमि में हो या पर केंद्रित यह पुस्तक इन गुणों की एक झलक देती है, जिनके कारण एक साधारण व्यक्ति विभिन्न रूपों में आने वाली प्रतिकूल परिस्थितियों का मुकाबला कर उन पर विजय प्राप्त करने योग्य बनता है। युद्ध और आतंकवाद के माहौल में सेना के वास्तविक जीवन की सच्ची कहानियों से सजी यह पुस्तक मुख्य रूप से विभिन्न स्थितियों में सजग और विवेकपूर्ण प्रतिक्रिया पर केंद्रित है। यह दिखाती है कि गंभीर हालात में, चाहे सेना में हों या पेशेवर जीवन में, जब व्यक्ति अपनी प्रशिक्षण-प्राप्त समझ को सूझ-बूझ और चतुराई से जोड़ता है, तो वह बाधाओं पर विजय पाकर सच्चा लीडर बन सकता है।
'वफादारी, ईमानदारी और जिम्मेदारी : वॉररूम से बोर्डरूम तक' एक प्रेरणादायक, प्रामाणिक और अत्यंत आकर्षक पुस्तक है, जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने, अपने काम में सफलता पाने या दैनिक जीवन की कठिनाइयों को दूर करने की इच्छा रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अवश्य पढ़नी चाहिए।
ये गुण क्या हैं?
क्या ये किसी लीडर में जन्मजात होते हैं या समय और अनुभव के साथ इनमें निखार आता है?
और फिर, एक सच्चा लीडर कौन होता है?
कॉर्पोरेट बोर्डरूम में, इस अवधारणा 'नेतृत्व' चाहे रणभूमि में हो या पर केंद्रित यह पुस्तक इन गुणों की एक झलक देती है, जिनके कारण एक साधारण व्यक्ति विभिन्न रूपों में आने वाली प्रतिकूल परिस्थितियों का मुकाबला कर उन पर विजय प्राप्त करने योग्य बनता है। युद्ध और आतंकवाद के माहौल में सेना के वास्तविक जीवन की सच्ची कहानियों से सजी यह पुस्तक मुख्य रूप से विभिन्न स्थितियों में सजग और विवेकपूर्ण प्रतिक्रिया पर केंद्रित है। यह दिखाती है कि गंभीर हालात में, चाहे सेना में हों या पेशेवर जीवन में, जब व्यक्ति अपनी प्रशिक्षण-प्राप्त समझ को सूझ-बूझ और चतुराई से जोड़ता है, तो वह बाधाओं पर विजय पाकर सच्चा लीडर बन सकता है।
'वफादारी, ईमानदारी और जिम्मेदारी : वॉररूम से बोर्डरूम तक' एक प्रेरणादायक, प्रामाणिक और अत्यंत आकर्षक पुस्तक है, जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने, अपने काम में सफलता पाने या दैनिक जीवन की कठिनाइयों को दूर करने की इच्छा रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अवश्य पढ़नी चाहिए।
लेफ्टिनेंट जनरल कंवल जीत सिंह ढिल्लों, PVSM, UYSM, YSM, VSM (सेवानिवृत्त), नेशनल डिफेंस एकेडमी के पूर्व छात्र, 1983 में कमीशंड इन्फैंट्री ऑफिसर (राजपूताना राइफल्स) हैं। 'टाइनी' ढिल्लों के नाम से लोकप्रिय, उन्होंने कश्मीर और पूर्वोत्तर के उग्रवाद एवं आतंकवाद-विरोधी ऑपरेशनल क्षेत्रों में व्यापक रूप से सेवाएँ दीं। पुलवामा आई.ई. डी. विस्फोट और अनुच्छेद 370 व 35ए के निरस्तीकरण के सबसे चुनौतीपूर्ण माहौल के दौरान उन्होंने श्रीनगर स्थित 15 कोर की कमान सँभाली।
जनवरी 2022 में वे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के अंतर्गत डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के डायरेक्टर जनरल के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उनकी पहली पुस्तक 'कितने गाजी आए, कितने गाजी गए' राष्ट्रीय बेस्टसेलर रही है, जिसे क्रॉसवर्ड बुक अवॉर्ड्स-2024 में श्रेणी में पॉपुलर च्वॉइस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, हाल ही में प्रकाशित उनकी पुस्तक 'ऑपरेशन सिंदूर : द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडिया'ज डीप स्ट्राइक्स इनसाइड पाकिस्तान' को भी अपार सफलता मिली है।
जनवरी 2022 में वे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के अंतर्गत डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के डायरेक्टर जनरल के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उनकी पहली पुस्तक 'कितने गाजी आए, कितने गाजी गए' राष्ट्रीय बेस्टसेलर रही है, जिसे क्रॉसवर्ड बुक अवॉर्ड्स-2024 में श्रेणी में पॉपुलर च्वॉइस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, हाल ही में प्रकाशित उनकी पुस्तक 'ऑपरेशन सिंदूर : द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडिया'ज डीप स्ट्राइक्स इनसाइड पाकिस्तान' को भी अपार सफलता मिली है।