Vote Ki Chot | Eyewitness Truth of India's Democratic Process Book In Hindi

Vote Ki Chot | Eyewitness Truth of India's Democratic Process Book In Hindi

by Prakash Dubey

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  • ISBN13: 9789349928848
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Political Science
"इतना आकर्षक तो भयप्रद दानव सा क्यों
दानव है तो देवों सा क्यों
क्यों वह ब्रह्मा (सृष्टि रचयिता) का शंखध्मा (शंख बजाना)
ढीलाढाला कोटपेंट पहने गंधर्व सुनहरा
योरोपीय यक्ष या हिंदुस्तानी जिन्न !
नया अनुभव है
उसके सावधान हाथों अब जाने मेरा क्या संभव है।"

मुक्तिबोध की अटपटी कविता में निहित जटिलता का अर्थ आसानी से समझ में आता है, जब आप 'वोट की चोट' की गहराई में डूबते हैं।

चुनावी हलचल के दौरान बयानबाजी से लथपथ भरपूर समाचार बरसते हैं। हमारे लोकतंत्र की अभिनय शैली नागरिक को पात्र बना देती है। उस पात्र का नाम है मतदाता। मतदाता का बाना ओढ़ने पर व्यक्ति नागरिक के रूप में अपनी चिंताओं की अनदेखी न करे, यह हर चुनाव की सबसे बड़ी चुनौती है। सपनों और आश्वासनों की झूठी कहानियों के दौर में पारदर्शिता उजागर करने से चुनावी राजनीति की साख बढ़ेगी। रोचक शैली में प्रस्तुत किए गए संदर्भों का हर छोर आपके सरोकारों की याद दिलाता है।
प्रकाश दुबे 1980 के दशक में बस्तर के सघन इलाकों में थे, जहाँ घोटुल पर चुनावी पोस्टर को सरकारी गज समझकर अनपढ़ आदिवासी छूते तक नहीं थे। दूसरा छोर अमेरिका था, जहाँ मतदाता चंदा देकर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का प्रचारभाषण सुनते हैं। अखिल असम छात्र यूनियन और असम गणपरिषद के आंदोलनकारी युवकों के समर्थन में मतदाताओं को वोट का बहिष्कार करते देखा। गली के बीचोबीच खड़े पत्रकार के दाएँ बाजू के मकानों में तमिलनाडु और बाईं तरफ केरल का प्रचार होते देखा। सतह पर दिलचस्प लगने वाले समाचारों के पीछे जटिल उद्योग कार्यरत है।

पत्रकारिता : दैनिक भास्कर के समूह संपादक। अनेक समाचारपत्रों में लेखन के साथ तीन बार भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव रहे। संप्रति कार्यसमिति सदस्य ।

प्रकाशित पुस्तकें : असम एक इनसानी भूचाल, गहे समय ने पाँव, राजकाज में लोकलाज, विचार की पत्रकारिता, पोपले मुँह का पैनापन (भारतीय प्रेस परिषद), जगदीश चंद्र बोस (अनुवाद)।

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