Vo Chhappan Ghante Stories Book
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- ISBN13: 9789355628114
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature
कहानी अपने रचयिता के जीवन का रस होती है। वह रस कभी मीठा तो कभी कसैला होता है। उस रस में वह अपनी कल्पनाओं, मूल्यों, आदर्शों और अपेक्षाओं को बूंद-बूँद टपकाकर बड़े एहतियात से कभी हजार तो कभी तीन-चार हजार शब्द लिखने के लिए स्याही तैयार करता है। पढ़ने की तीव्र लालसा थी तो पाँच बरस के होते-होते अक्षर पढ़ने सीख लिये। घर में पढ़ने-लिखने का माहौल था।
सबसे छोटी होने के नाते जो पुस्तकें हाथ लगतीं, पढ़ जाती; कुछ पल्ले पड़तीं, कुछ पल्ले से झड़ जातीं, पर इस प्रक्रिया में भाषा से प्रेम हो गया। आगे जाकर जीवन के विविध अनुभवों के चलते लिखना शुरू किया। कभी गद्य तो कभी पद्य, कभी रिएक्शन तो कभी रिस्पॉन्स ! मेरे लिए कहानी लिखने की प्रक्रिया वैसी ही है, जैसे एक संगीतकार के लिए वाद्ययंत्र पर नई धुन निकालना।
इसलिए कुछ कहानियाँ, जैसे 'वह जिंदा है' या 'सपेरा' कुछ घंटों में लिख गईं तो कुछ रचनाओं, जैसे 'राधेश्याम' ने कुछ हफ्ते लिये। 'सलेटी' और 'मरीचिका' की गर्भावधि महीनों या बरसों की रही। आशा है, मेरी कहानियों में मौजूद पृष्ठभूमि की भिन्नता, चरित्रों की विशिष्टता और बदलती कथन-शैली आपको पृष्ठ के बाद पृष्ठ पलटने को प्रेरित करेगी।
सबसे छोटी होने के नाते जो पुस्तकें हाथ लगतीं, पढ़ जाती; कुछ पल्ले पड़तीं, कुछ पल्ले से झड़ जातीं, पर इस प्रक्रिया में भाषा से प्रेम हो गया। आगे जाकर जीवन के विविध अनुभवों के चलते लिखना शुरू किया। कभी गद्य तो कभी पद्य, कभी रिएक्शन तो कभी रिस्पॉन्स ! मेरे लिए कहानी लिखने की प्रक्रिया वैसी ही है, जैसे एक संगीतकार के लिए वाद्ययंत्र पर नई धुन निकालना।
इसलिए कुछ कहानियाँ, जैसे 'वह जिंदा है' या 'सपेरा' कुछ घंटों में लिख गईं तो कुछ रचनाओं, जैसे 'राधेश्याम' ने कुछ हफ्ते लिये। 'सलेटी' और 'मरीचिका' की गर्भावधि महीनों या बरसों की रही। आशा है, मेरी कहानियों में मौजूद पृष्ठभूमि की भिन्नता, चरित्रों की विशिष्टता और बदलती कथन-शैली आपको पृष्ठ के बाद पृष्ठ पलटने को प्रेरित करेगी।
नीना मिश्रा
प्रयाग विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में सन् 1990 में स्नातकोत्तर (रजत पदक सम्मानित) के पश्चात् सिविल सर्विसेज परीक्षा उत्तीर्ण की और 1994 से रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के कई महत्त्वपूर्ण पदों पर काम किया है और वर्तमान में वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं। एक लेखिका के तौर पर उनके लिए कविता विप्लवकारी मानवीय भावों को बाँधने का जरिया है, किंतु वैयक्तिक संबंधों की जटिलता और उनके 'सामाजिक सत्य' की चट्टान से सतत घर्षण का शब्दचित्र खींचने के लिए उन्होंने हमेशा कहानी को ही चुना है।
अनेक विभागीय प्रकाशनों में उनकी कहानियाँ, कविताएँ और लेख प्रकाशित होते रहे हैं। उन्होंने अनेक विभागेतर काव्य मंचों पर भी अपनी प्रस्तुति दी है, जिनमें द्रौपदी फाउंडेशन द्वारा आयोजित काव्य-गोष्ठी और बारादरी काव्य-सम्मेलन उल्लेखनीय हैं । अपनी सृजनात्मकता की अभिव्यक्ति के लिए उनका अपना यू-ट्यूब चैनल @neena-mishra3158 है। इसके अलावा वह स्पॉटिफाई (Neena Ne Kaha Tha) पर भी सक्रिय हैं।
प्रयाग विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में सन् 1990 में स्नातकोत्तर (रजत पदक सम्मानित) के पश्चात् सिविल सर्विसेज परीक्षा उत्तीर्ण की और 1994 से रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के कई महत्त्वपूर्ण पदों पर काम किया है और वर्तमान में वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं। एक लेखिका के तौर पर उनके लिए कविता विप्लवकारी मानवीय भावों को बाँधने का जरिया है, किंतु वैयक्तिक संबंधों की जटिलता और उनके 'सामाजिक सत्य' की चट्टान से सतत घर्षण का शब्दचित्र खींचने के लिए उन्होंने हमेशा कहानी को ही चुना है।
अनेक विभागीय प्रकाशनों में उनकी कहानियाँ, कविताएँ और लेख प्रकाशित होते रहे हैं। उन्होंने अनेक विभागेतर काव्य मंचों पर भी अपनी प्रस्तुति दी है, जिनमें द्रौपदी फाउंडेशन द्वारा आयोजित काव्य-गोष्ठी और बारादरी काव्य-सम्मेलन उल्लेखनीय हैं । अपनी सृजनात्मकता की अभिव्यक्ति के लिए उनका अपना यू-ट्यूब चैनल @neena-mishra3158 है। इसके अलावा वह स्पॉटिफाई (Neena Ne Kaha Tha) पर भी सक्रिय हैं।