Vishwamanav Rabindranath Tagore
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- ISBN13: 9789351863250
- Binding: Hardcover
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Biography
आलौकिक प्रतिभासंपन्न, साक्षात् प्रतिभासूर्य, भारतमाता के एक महान् सुपुत्र रवींद्रनाथ टैगोर। साहित्य, संगीत, कला— इन सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान देनेवाले गुरुदेव टैगोर सर्वार्थों में युगनिर्माता थे। आज के भूमंडलीकरण के युग में कई दशक पहले पूर्वपश्चिम संस्कृतियों को मिलाकर दुनिया में एक नई अक्षय संस्कृति निर्माण होने का सपना देखनेवाले द्रष्टा एवं विश्वमानव!
रवींद्रनाथ की लोकोत्तर प्रतिभा, उनकी बहुश्रुतता, संवेदनशीलता, उनके अनुभवों की समृद्धि और उन अनुभवों को साहित्य, संगीत, कला के माध्यम से व्यक्त करने की असामान्य क्षमता रखनेवाले गुरुदेव वंदनीय हैं, अभिनंदनीय हैं। रवींद्रसाहित्य और रवींद्रसंगीत प्रभावशाली तथा लुभावने हैं। रवींद्रनाथ का साहित्य एक बार पढ़ा तो फिर भूल नहीं सकते। वह आपके मन में बारबार गूँजता रहता है।
रवींद्रनाथ का पूरा जीवन काव्यसंगीत का, शब्दसुरों का, कलाओं का महोत्सव है, आनंदोत्सव है। वैश्वीकरण के दौर में पलीबढ़ी नई पीढ़ी को रवींद्रनाथ का परिचय मिले तो कैसे?
इस उपन्यास में युगनिर्माता विश्वमानव रवींद्रनाथ टैगोर अलौकिक साहित्य रचना का, उनके सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के महान् कार्यों का अधिक परिपूर्ण ढंग से अध्ययन करने का मार्ग खुलेगा और पाठक ‘रवींद्र रंग’ में रँग जाएँगे।
रवींद्रनाथ की लोकोत्तर प्रतिभा, उनकी बहुश्रुतता, संवेदनशीलता, उनके अनुभवों की समृद्धि और उन अनुभवों को साहित्य, संगीत, कला के माध्यम से व्यक्त करने की असामान्य क्षमता रखनेवाले गुरुदेव वंदनीय हैं, अभिनंदनीय हैं। रवींद्रसाहित्य और रवींद्रसंगीत प्रभावशाली तथा लुभावने हैं। रवींद्रनाथ का साहित्य एक बार पढ़ा तो फिर भूल नहीं सकते। वह आपके मन में बारबार गूँजता रहता है।
रवींद्रनाथ का पूरा जीवन काव्यसंगीत का, शब्दसुरों का, कलाओं का महोत्सव है, आनंदोत्सव है। वैश्वीकरण के दौर में पलीबढ़ी नई पीढ़ी को रवींद्रनाथ का परिचय मिले तो कैसे?
इस उपन्यास में युगनिर्माता विश्वमानव रवींद्रनाथ टैगोर अलौकिक साहित्य रचना का, उनके सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के महान् कार्यों का अधिक परिपूर्ण ढंग से अध्ययन करने का मार्ग खुलेगा और पाठक ‘रवींद्र रंग’ में रँग जाएँगे।
जानेमाने अर्थशास्त्री, नीतिनिर्माता, शिक्षाशास्त्री, समाजविज्ञानी और सुप्रसिद्ध लेखक डॉ. नरेंद्र जाधव ने अब तक 5 हिंदी, 12 मराठी व 18 अंग्रेजी कुल 35 ग्रंथों के लेखनसंपादन सहित डॉ. आंबेडकर कृत चार हिंदी पुस्तकों का संपादन किया है। उनका कौटुंबिक आत्मकथन ‘अनटचेबल्स’, देशविदेश की 17 भाषाओं में अनुवादित हुआ है। 30 प्रमुख सरकारी रिपोर्ट्स और पत्रिकाओं में 200 से अधिक शोधपत्रों का लेखन करते हुए डॉ. जाधव ने राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अनेकानेक व्याख्यान दिए हैं।
अमेरिका के इंडियाना यूनिवर्सिटी से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त डॉ. नरेंद्र जाधव नई दिल्ली में सोशल डेवलपमेंट, इक्विटी और ह्यूमन सेक्यूरिटी के प्रोफेसर के रूप में दुर्गाबाई देशमुख चेयर पर कार्यरत हैं। इसके पहले डॉ. जाधव ने केंद्रीय योजना आयोग के सदस्य (200914), राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के सदस्य (201014), पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति (200609) तथा भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री (200205) जैसे अनेक महत्त्वपूर्ण पदों पर अपना योगदान दिया है।
डॉ. नरेंद्र जाधव को अर्थशास्त्र, शिक्षा, साहित्य, संस्कृति तथा सामाजिक कार्य के लिए अब तक 65 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
अमेरिका के इंडियाना यूनिवर्सिटी से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त डॉ. नरेंद्र जाधव नई दिल्ली में सोशल डेवलपमेंट, इक्विटी और ह्यूमन सेक्यूरिटी के प्रोफेसर के रूप में दुर्गाबाई देशमुख चेयर पर कार्यरत हैं। इसके पहले डॉ. जाधव ने केंद्रीय योजना आयोग के सदस्य (200914), राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के सदस्य (201014), पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति (200609) तथा भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री (200205) जैसे अनेक महत्त्वपूर्ण पदों पर अपना योगदान दिया है।
डॉ. नरेंद्र जाधव को अर्थशास्त्र, शिक्षा, साहित्य, संस्कृति तथा सामाजिक कार्य के लिए अब तक 65 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।