Vikiran Aur Cellphone

Vikiran Aur Cellphone

by Durga Dutt Ozha; Girish Kumar

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  • ISBN13: 9789384344696
  • Binding: Hardcover
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): General
विकिरण का सुसंयत और नियंत्रित उपयोग चिकित्सीय निदान और उपचार, खाद्य पदार्थों के परिरक्षण व प्रसंस्करण, औद्योगिक/विकिरण विज्ञान, शल्य चिकित्सा के यंत्रों व उपकरणों के निर्जर्मीकरण एवं कृषि अनुसंधान जैसे मानव जाति के लिए अनेक कल्याणकारी कार्यों में किया जाता है। दूसरी ओर नाभिकीय आयुधों के अविवेकपूर्ण और अनियंत्रित उपयोग से संपूर्ण मानव-जाति तथा अन्य प्राणि वर्ग एवं मानव सभ्यता कुछ ही मिनटों में समूल नष्ट हो सकती है। बढ़ते औद्योगिकीकरण, शहरीकरण के फलस्वरूप सूक्ष्म तरंग विकिरण (माइक्रोवेव विकिरण) का प्रकोप बढ़ रहा है। वर्तमान में मोबाइल फोन (सेलफोन) का प्रादुर्भाव होने से इससे होनेवाले रोगों की संख्या में भी निरंतर वृद्धि हो रही है।
इस लोकोपयोगी पुस्तक में विकिरण और सेलफोन से संबंधित यथासंभव समस्त जानकारी, यथा-विकिरण की प्रारंभिक जानकारी एवं मिथक, पुरातन परिदृश्य, वर्गीकरण, मापन, रेडियोएक्टिवता, विकिरण के स्रोत, रेडियो आइसोटोप एवं उनके उपयोग, मानव शरीर में विकिरणशील तत्त्व, विकिरण उद्भासन, विद्युत् चुंबकीय विकिरण, दूरसंचार, मोबाइल फोन, इसका विकास, सैटेलाइट फोन, विभिन्न प्रकार के मोबाइल फोन, सेलफोन, इसकी विशेषताएँ, विद्युत् चुंबकीय विकिरण के दुष्प्रभाव, मानक, स्मार्टफोन, सेलफोन टॉवर एवं सेलफोन के हानिकारक प्रभाव, इससे बचाव विषयक तकनीकी जानकारी सरल हिंदी भाषा में चित्रों सहित प्रदान की गई है।
डॉ. डी.डी. ओझा विगत चार दशक से हिंदी में विज्ञान लोकप्रियकरण हेतु रत हैं। उन्होंने विज्ञान के अनेकानेक विषयों पर उनके कई सौ आलेख, 95 शोधपत्र एवं 55 पुस्तकें हिंदी में प्रकाशित हैं। मूलतः रसायन विज्ञान के वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे डॉ. ओझा ने विज्ञान के अनेक क्षेत्र में तथ्यपरक शोध कार्य किया है। उनकी उत्कृष्ट लेखन दक्षता का कई राज्यों एवं भारत सरकार ने सम्मान कर उन्हें कई राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों एवं सम्मानोपधियों से नवाजा है। डॉ. ओझा कई पत्रिकाओं के संपादन मंडल के सदस्य हैं।

प्रो. गिरीश कुमार ने आई.आई.टी. कानपुर से विद्युत् अभियांत्रिकी में वर्ष 1983 में पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात् वे दो वर्ष तक कनाडा के मेनिटोबा विश्वविद्यालय में रिसर्च एसोसिएट एवं 1985 से 1991 तक अमेरिका की नॉर्थ डकोटा विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर रहे। वर्तमान में वे आई.आई.टी. मुंबई के विद्युत् अभियांत्रिकी विभाग में प्रोफेसर हैं। उनके कार्य के प्रमुख क्षेत्र हैं—माइक्रोस्ट्रिप एंटिना और अॅरे, ब्रॉडबैंड एंटिना, सूक्ष्म तरंग समेकित सर्किट एवं सिस्टम। प्रो. गिरीश कुमार ने 5 पेटेंट दर्ज किए हैं। 250 से अधिक शोधपत्र शोध पत्रिकाओं और संगोष्ठियों में प्रकाशित किए हैं। एक दशक से सेलफोन एवं सेलफोन टॉवर विकिरण से होनेवाले दुष्प्रभावों पर अध्ययन कर रहे हैं तथा इस पर उन्होंने कई प्रतिवेदन प्रकाशित किए हैं।

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