Vidyarthiyon Ke Liye Vigyan
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- ISBN13: 9788199194014
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Education
इस पुस्तक में विज्ञान के जो आलेख सम्मिलित किए गए हैं, उन्हें मोटे तौर पर दो हिस्सों में बाँटा जा सकता है- कुछ आलेख ऐतिहासिक महत्त्व के हैं तो अन्य विज्ञान के महत्त्वपूर्ण मौलिक तथ्यों की व्याख्या करने वाले। दोनों प्रकार के आलेखों के लिए जन सामान्य की भाषा रखी गई है, साथ ही यह भी खयाल रखा गया है कि बिना तकनीकी और वैज्ञानिक तथ्यों पर समझौता किए एवं बगैर गणितीय समीकरणों में उलझाए, पाठकों तक बातें सरल तरीके से संप्रेषित की जा सकें। यही वह बिंदु है, जो इस पुस्तक की सफलता और उपयोगिता को निर्धारित करेगा। इनमें से ज्यादातर आलेख विभिन्न इंटरनेट पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं, जो कुछ हद तक इनकी प्रामाणिकता का विश्वास दिलाते हैं।
प्रो. अनिल कुमार बिहार राज्य के सारण (छपरा) जिले के मूल निवासी हैं। उन्होंने बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से भौतिकी में एम.एससी. की डिग्री ली, तत्पश्चात् सी.एस.आई.आर. (CSIR) फेलोशिप के अंतर्गत सैद्धांतिक परमाणु भौतिकी में पीएच. डी. की। वर्ष 1977 के फरवरी माह में डी.ए.वी. महाविद्यालय, सीवान में व्याख्याता रहे। इसके साथ ही उन्होंने शोध कार्य से अपना जुड़ाव बनाए रखा। फलस्वरूप 1985 में उन्हें फ्रांस सरकार की पोस्ट-डॉक् फेलोशिप प्रदान की गई।
अपने पूरे कार्यकाल में प्रो. कुमार ने 40 से अधिक शोध-पत्र अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किए; दो शोध-परियोजनाओं के पर्यवेक्षक रहे और सात शोध-प्रबंधों का निर्देशन किया।
16 जुलाई, 2016 जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा (बिहार) से प्रोफेसर एवं पूर्व अध्यक्ष के रूप में अवकाश ग्रहण करने के पश्चात् प्रो. कुमार पूरी तरह से हिंदी-लेखन के प्रति समर्पित हैं। उनकी कहानियाँ और वैज्ञानिक आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं, साथ ही वर्ष 2023 में इनका एक कहानी संग्रह 'फ़रिश्ते' (गुलदस्ता किस्सों का) भी प्रकाशित हुआ है। पटना में स्थायी निवास ।
संपर्क : anilnivedita@gmail.com
अपने पूरे कार्यकाल में प्रो. कुमार ने 40 से अधिक शोध-पत्र अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किए; दो शोध-परियोजनाओं के पर्यवेक्षक रहे और सात शोध-प्रबंधों का निर्देशन किया।
16 जुलाई, 2016 जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा (बिहार) से प्रोफेसर एवं पूर्व अध्यक्ष के रूप में अवकाश ग्रहण करने के पश्चात् प्रो. कुमार पूरी तरह से हिंदी-लेखन के प्रति समर्पित हैं। उनकी कहानियाँ और वैज्ञानिक आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं, साथ ही वर्ष 2023 में इनका एक कहानी संग्रह 'फ़रिश्ते' (गुलदस्ता किस्सों का) भी प्रकाशित हुआ है। पटना में स्थायी निवास ।
संपर्क : anilnivedita@gmail.com