Vicharon Ke Gyaraha Adhyaya
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- ISBN13: 9789394534018
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Political Science
विचारों के ग्यारह अध्याय' झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष श्री रबींद्रनाथ महतो द्वारा लिखित पुस्तक है, जिसमें उन्होंने राज्य गठन आंदोलन के दौरान और अपने लंबे राजनीतिक अनुभव से स्वयं में उपजे विचारों की प्रस्तुति की है।
अलग-अलग विषयों पर लिखे गए ग्यारह अध्याय राज्य निर्माण के दर्शन, वर्तमान दशा तथा भविष्य की दिशा के विषय में तथ्यपरक एवं विचारोत्तेजक जानकारी प्रस्तुत करते हैं । संथाल, हूल से गांधीवाद तक, संसदीय परंपराओं से कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका के पारस्परिक संबंधों तक लेखक ने जहाँ एक ओर अलग-अलग सैद्धांतिक पहलुओं को छूने का प्रयास किया है, वहीं कृषि, शिक्षा, खेल और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर भी अपने विचार प्रस्तुत किए हैं ।
पुस्तक के अंतिम भाग में अध्यक्ष के रूप में उनके द्वारा विधानसभा में दिए गए कुछ प्रमुख भाषण संकलित हैं।
अलग-अलग विषयों पर लिखे गए ग्यारह अध्याय राज्य निर्माण के दर्शन, वर्तमान दशा तथा भविष्य की दिशा के विषय में तथ्यपरक एवं विचारोत्तेजक जानकारी प्रस्तुत करते हैं । संथाल, हूल से गांधीवाद तक, संसदीय परंपराओं से कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका के पारस्परिक संबंधों तक लेखक ने जहाँ एक ओर अलग-अलग सैद्धांतिक पहलुओं को छूने का प्रयास किया है, वहीं कृषि, शिक्षा, खेल और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर भी अपने विचार प्रस्तुत किए हैं ।
पुस्तक के अंतिम भाग में अध्यक्ष के रूप में उनके द्वारा विधानसभा में दिए गए कुछ प्रमुख भाषण संकलित हैं।
रबींद्रनाथ महतो झारखंड विधानसभा के 8वें अध्यक्ष हैं। वर्तमान में जामताड़ा जिले के नाला विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं । इसके पूर्व 2005 व 2014 में भी विधायक रहे। पृथक् झारखंड राज्य गठन आंदोलन के दौरान सक्रिय भागीदार रहे और कई बार जेल भी गए। जब झारखंड क्षेत्र स्वायत्तशासी परिषद् की स्थापना की गई, तब लेखक इस परिषद् के सदस्य भी रहे। 7 जनवरी, 2020 से झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं और अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कई नवाचार किए हैं। उनके द्वारा झारखंड विधानसभा में सदन की काररवाई का सीधा प्रसारण पहली बार न केवल शुरू किया गया, बल्कि संसद टी.वी. की तर्ज पर इसे एक टी.वी. चैनल के रूप में विकसित करने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं । देश में पहली बार किसी विधानसभा द्वारा छात्र-संसद् का आयोजन कराकर राज्य के युवाओं को संसदीय व्यवस्था को वास्तविक रूप में दिखाने और समझाने का प्रयास उनके द्वारा किया गया है। वह मुद्दों पर लगातार मुखर रहे हैं और जनकल्याण के विषय को अलग-अलग मंचों से उठाते रहे हैं ।