Vichar Vaibhav | Swami Avdheshanand Giri Is An Indian Hindu Spiritual Guru, Writer And Philosopher Book In Hindi
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- ISBN13: 9789355624727
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Self-Help Groups
विचार वैभव' पूज्यपाद श्री स्वामी अवधेशानंद गिरिजी महाराज द्वारा रचित एक उत्कृष्ट साहित्यिक, आध्यात्मिक एवं शास्त्रसम्मत कृति है। इस पुस्तक का दिव्य ज्ञान नैतिक, आध्यात्मिक तथा वैदिक मूल्यों को सुस्पष्ट, सुसंस्कृत एवं हृदयस्पर्शी ढंग से प्रस्तुत करता है। इसकी प्रत्येक पंक्ति सनातन धर्म की गहन दार्शनिकता, वैदिक परंपरा और भारतीय संस्कृति की शाश्वत संजीवनी शक्ति को उजागर करती है, जो पाठक के अंतःकरण को प्रबुद्ध और परिष्कृत करने में सक्षम है।
यह कृति विविध विषयों पर आधारित है, जिसमें सत्संग, विनम्रता, कृतज्ञता, अभयता, त्याग, दान, कर्तव्यनिष्ठा और सत्यपरायणता जैसे दिव्य गुणों का गहन तथा शास्त्रसम्मत विश्लेषण किया गया है। प्रत्येक विषय को सूक्ष्म दृष्टिकोण और प्रेरणादायी शैली में प्रस्तुत किया गया है, जो साधकों को आत्मचिंतन, यथार्थ बोध और आत्मसाक्षात्कार की ओर प्रेरित करता है।
यह पुस्तक न केवल वैदिक दर्शन का प्रदीप्त प्रतीक है, अपितु आधुनिक युग में मानवजीवन को सार्थकता और संतुलन प्रदान करने वाला एक अमूल्य रत्न है। 'विचार वैभव' साधकों के साथसाथ प्रत्येक चिंतनशील व्यक्ति के लिए आत्मिक जागरण का एक सशक्त माध्यम है।
यह कृति विविध विषयों पर आधारित है, जिसमें सत्संग, विनम्रता, कृतज्ञता, अभयता, त्याग, दान, कर्तव्यनिष्ठा और सत्यपरायणता जैसे दिव्य गुणों का गहन तथा शास्त्रसम्मत विश्लेषण किया गया है। प्रत्येक विषय को सूक्ष्म दृष्टिकोण और प्रेरणादायी शैली में प्रस्तुत किया गया है, जो साधकों को आत्मचिंतन, यथार्थ बोध और आत्मसाक्षात्कार की ओर प्रेरित करता है।
यह पुस्तक न केवल वैदिक दर्शन का प्रदीप्त प्रतीक है, अपितु आधुनिक युग में मानवजीवन को सार्थकता और संतुलन प्रदान करने वाला एक अमूल्य रत्न है। 'विचार वैभव' साधकों के साथसाथ प्रत्येक चिंतनशील व्यक्ति के लिए आत्मिक जागरण का एक सशक्त माध्यम है।
जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरिजी महाराज सनातन धर्मोद्धारक, आद्य जगद्गुरु शंकराचार्यजी की अद्वैत परंपरा के प्रखर संवाहक, ओजस्वी एवं प्रबुद्ध संत, श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य, श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरिजी महाराज पूज्य प्रभुश्री गुरुउपदिष्ट साधना, वेदविहित मार्ग एवं परमार्थ में सतत संलग्न रहते हुए लोककल्याण के लिए निरंतर प्रयत्नशील हैं।
अद्वैत वेदांत के गूढ़ मर्मज्ञ, प्रस्थानत्रयी के प्रखर व्याख्याकार, उत्कृष्ट लेखक और सनातन वैदिक संस्कृति के परम संवाहक पूज्यश्री का जीवन आत्मज्ञान, भक्ति एवं सेवा से ओतप्रोत है। वे विश्व के प्राचीनतम संत समुदाय, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर हैं तथा विश्व प्रसिद्ध भारतमाता मंदिर व समन्वय सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में देशविदेश में सक्रिय सामाजिकआध्यात्मिक सेवा में समर्पित हैं।
उनके मार्गदर्शन में 'प्रभु प्रेमी संघ' अनेक शाखाओं के माध्यम से अन्नदान, निःशुल्क शिक्षा, चिकित्सा सेवा तथा आध्यात्मिक मूल्यों के प्रचारप्रसार में सतत सेवाकार्य कर रहा है। पूज्यश्री द्वारा स्थापित अनेक संस्थाएँ लोककल्याणकारी कार्यों में समर्पित हैं।
अद्वैत वेदांत के गूढ़ मर्मज्ञ, प्रस्थानत्रयी के प्रखर व्याख्याकार, उत्कृष्ट लेखक और सनातन वैदिक संस्कृति के परम संवाहक पूज्यश्री का जीवन आत्मज्ञान, भक्ति एवं सेवा से ओतप्रोत है। वे विश्व के प्राचीनतम संत समुदाय, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर हैं तथा विश्व प्रसिद्ध भारतमाता मंदिर व समन्वय सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में देशविदेश में सक्रिय सामाजिकआध्यात्मिक सेवा में समर्पित हैं।
उनके मार्गदर्शन में 'प्रभु प्रेमी संघ' अनेक शाखाओं के माध्यम से अन्नदान, निःशुल्क शिक्षा, चिकित्सा सेवा तथा आध्यात्मिक मूल्यों के प्रचारप्रसार में सतत सेवाकार्य कर रहा है। पूज्यश्री द्वारा स्थापित अनेक संस्थाएँ लोककल्याणकारी कार्यों में समर्पित हैं।