Vaigyanik Sant Dr. Kalam

Vaigyanik Sant Dr. Kalam

by Lakshman Prasad

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  • ISBN13: 9789352660643
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Biography
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक साधारण से परिवार में मानवतावादी गुणों के साथ अवतरित हुए। अनेक भाग्यशाली व्यक्तियों को भिन्न-भिन्न क्षेत्रों जैसे—विज्ञान, तकनीकी, आध्यात्मिक, शिक्षा, सामाजिक आदि में साक्षात् रूप में उनके साथ कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
इस ग्रंथ के विद्वान् लेखकों एवं लेखिकाओं ने डॉ. कलाम के आत्मीय एवं मानवीय गुणों के भिन्न-भिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपनी श्रद्धांजलि में लिखा है कि कलाम के रूप में भारत ने एक हीरा खो दिया है। लेकिन उस हीरे की चमक और रोशनी हमें उस मंजिल तक पहुँचाएगी, जो उस स्वप्नद्रष्टा ने सोची थी। उनके एक घनिष्ठ सहयोगी एवं वैज्ञानिक मित्र डॉ. वाई.एस. राजन ने लिखा है कि ‘वे इतिहास रचने आए थे, रचकर चले गए।’ इसी प्रकार एक वैज्ञानिक साथी ने ‘संत के रूप में’ और दूसरे साथी ने ‘आदर्श इनसान के रूप में’ उनका आकलन किया है। कुछ लेखक डॉ. कलाम के गुणों और कार्यों को ‘एक सच्चे कर्मयोगी एवं विज्ञान ऋषि’ के रूप में देखते हैं। एक वरिष्ठ विज्ञान लेखक ने लिखा है ‘न भूतो न भविष्यति : देवोपम डॉ. कलाम।’ एक लेखिका ने अपने पिताश्री के साथ डॉ. कलाम से दोस्ती को ‘कलियुग में कृष्ण-सुदामा जैसी मित्रता’ की संज्ञा दी है। डॉ. कलाम के साथ एक फोटो के प्रभाव से 15 वर्षीय विद्यार्थी को गंभीर उपचार में जीवनदान मिलने के विषय में उसने अपने लेख ‘किसी के लिए आशीर्वाद, किसी के लिए जीवनदान’ भावों से कलाम साहब के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की है।
भारत रत्न डॉ. कलाम के महान् प्रेरणाप्रद जीवन की अनुपम झाँकी है यह पुस्तक।
जन्म : 19 अक्तूबर, 1930, अलीगढ़ (उ.प्र.)।
सन् 1954 में लखनऊ विश्वविद्यालय से सामाजिक कार्यों में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। विकलांगों के पुनर्वास विषय पर आई.एल.ओ. द्वारा 1960 में मनीला, फिलिपिंस में आयोजित सम्मेलन में भारत सरकार का सफलतापूर्वक प्रतिनिधित्व। तत्पश्चात् 25 वर्ष सार्वजनिक उद्योगों व बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कार्मिक प्रबंधक के पद पर कार्य किया। 1984 में स्वैच्छिक अवकाश के पश्चात् अपने नवाचारों पर आधारित उद्योगों की स्थापना। 1995 में विकलांग कल्याण केंद्र की स्थापना, जिसके द्वारा कृत्रिम अंग एवं कैलीपर का निःशुल्क वितरण। देश में नवाचार आंदोलन के जनक।
नवाचार/आविष्कार : राष्ट्रीय महत्त्व के 25 नवाचार, जिनमें से 12 नवाचारों का सफलतापूर्वक व्यापारीकरण।
लेखन एवं प्रकाशन : लगभग सवा सौ लेख और 16 पुस्तकें, जिनमें 4 पुस्तकें अंग्रेजी और 12 हिंदी में प्रकाशित। दोनों भाषाओं में मिलाकर 12 पुस्तकें नवाचार/आविष्कारों पर आधारित।
सम्मान/पुरस्कार : विज्ञान एवं नवाचार के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए ‘विज्ञानरत्न’ सहित भारत सरकार द्वारा 8 राष्ट्रीय, 3 राज्यस्तरीय सम्मानों से विभूषित। इसके अलावा 2 पुस्तकों पर देश का सर्वोच्च पुरस्कार ‘डॉ. मेघनाद साहा सम्मान’ तथा ‘बाल किशोर साहित्य सम्मान’ से पुरस्कृत। विकलांग कल्याण क्षेत्र में भी एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार और दूसरा राष्ट्रीय ‘मोदी फाउंडेशन सम्मान’ से पुरस्कृत।

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