Upgrahon Ka Rochak Sansar
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- ISBN13: 9789380186108
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Education
अंतरिक्ष सदैव ही मानव के लिए रहस्यमय रहा है और अंतरिक्ष विज्ञान भी उतना ही प्राचीन है जितना कि स्वयं मानव।
भारत ने सर्वप्रथम 19 अप्रैल, 1975 को ‘आर्यभट्ट’ नामक उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। उस समय अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में भारत का स्थान विश्व में 11वाँ था, जो कि संप्रति छठे स्थान पर जा पहुँचा है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गति देने का पूरा श्रेय स्वर्गीय डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई को है, जिनके अथक प्रयासों से भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतनी प्रगति की है। ‘चंद्रयान-I’ इस दिशा में भारतीय वैज्ञानिकों की दक्षता एवं क्षमता का द्योतक है।
प्रस्तुत पुस्तक में अंतरिक्ष, उपग्रह एवं सुदूर संवेदन से संबंधित महत्त्वपूर्ण विषयों, यथा अंतरिक्ष अन्वेषण, इसमें पशुओं का योगदान, अतीत के अंतरिक्ष विज्ञानी, महिलाएँ, उपग्रह एवं प्रमोचन, विभिन्न प्रकार के उपग्रह, भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम, उद्देश्य, प्रमुख संस्थान, इसरो के जनक वैज्ञानिक, प्रथम अंतरिक्ष यात्री, भारतीय उपग्रहों का विहंगावलोकन, चंद्रयान-I मिशन एवं संबंधित नवीनतम जानकारी, कृत्रिम उपग्रहों के प्रकार, विश्व के अन्य देशों के राष्ट्रीय संचार उपग्रह, आर्यभट्ट, रोहिणी, इनसैट उपग्रह, एजुसैट, कार्टोसैट, इनसैट-4 सी.आर., रिसैट-2 उपग्रह, उपग्रह संचार प्रणाली की विभिन्न क्षेत्रों में उपादेयता, भारत में जी.पी.एस. कार्यक्रम, विश्व के प्रमुख उपग्रह संचार तंत्र, सुदूर संवेदन तकनीक एवं उपयोगिता, भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस.) एवं उपयोग, क्वेकसैट तथा सौर ऊर्जा उपग्रह आदि नवीनतम तकनीकी विषयों पर अति दुर्लभ जानकारी अत्यंत सरल एवं बोधगम्य भाषा में यथोचित चित्रों सहित प्रदान की गई है।
आशा है, पुस्तक में वर्णित तकनीकी जानकारी से प्रबुद्ध पाठकगण अवश्य लाभान्वित होंगे।
भारत ने सर्वप्रथम 19 अप्रैल, 1975 को ‘आर्यभट्ट’ नामक उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। उस समय अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में भारत का स्थान विश्व में 11वाँ था, जो कि संप्रति छठे स्थान पर जा पहुँचा है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गति देने का पूरा श्रेय स्वर्गीय डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई को है, जिनके अथक प्रयासों से भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतनी प्रगति की है। ‘चंद्रयान-I’ इस दिशा में भारतीय वैज्ञानिकों की दक्षता एवं क्षमता का द्योतक है।
प्रस्तुत पुस्तक में अंतरिक्ष, उपग्रह एवं सुदूर संवेदन से संबंधित महत्त्वपूर्ण विषयों, यथा अंतरिक्ष अन्वेषण, इसमें पशुओं का योगदान, अतीत के अंतरिक्ष विज्ञानी, महिलाएँ, उपग्रह एवं प्रमोचन, विभिन्न प्रकार के उपग्रह, भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम, उद्देश्य, प्रमुख संस्थान, इसरो के जनक वैज्ञानिक, प्रथम अंतरिक्ष यात्री, भारतीय उपग्रहों का विहंगावलोकन, चंद्रयान-I मिशन एवं संबंधित नवीनतम जानकारी, कृत्रिम उपग्रहों के प्रकार, विश्व के अन्य देशों के राष्ट्रीय संचार उपग्रह, आर्यभट्ट, रोहिणी, इनसैट उपग्रह, एजुसैट, कार्टोसैट, इनसैट-4 सी.आर., रिसैट-2 उपग्रह, उपग्रह संचार प्रणाली की विभिन्न क्षेत्रों में उपादेयता, भारत में जी.पी.एस. कार्यक्रम, विश्व के प्रमुख उपग्रह संचार तंत्र, सुदूर संवेदन तकनीक एवं उपयोगिता, भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस.) एवं उपयोग, क्वेकसैट तथा सौर ऊर्जा उपग्रह आदि नवीनतम तकनीकी विषयों पर अति दुर्लभ जानकारी अत्यंत सरल एवं बोधगम्य भाषा में यथोचित चित्रों सहित प्रदान की गई है।
आशा है, पुस्तक में वर्णित तकनीकी जानकारी से प्रबुद्ध पाठकगण अवश्य लाभान्वित होंगे।
16 फरवरी, 1953 को जोधपुर में जनमे डॉ. डी.डी. ओझा देश के उत्कृष्ट विज्ञान लेखकों, प्रचारकों एवं प्रसारकों में से एक हैं, जिन्होंने विज्ञान के विविध विषयों पर महत्त्वपूर्ण लेखन कार्य कर नवीन विज्ञान विषयों को जन-सामान्य तक पहुँचाया है। विज्ञान की उच्च शिक्षा प्राप्त डॉ. ओझा न केवल देश-विदेश के अनेक विज्ञान संस्थानों के चयनित फेलो हैं वरन् ‘विज्ञान रत्न’, ‘विज्ञान भूषण’, ‘विज्ञान वाचस्पति’ एवं ‘विज्ञान प्रदीप’ जैसे सम्मानों से अलंकृत भी हैं।
डॉ. ओझा ने विज्ञान के अनेक क्षेत्रों में अनुसंधान कर शताधिक शोधपत्र एवं सात सौ पचास आलेख प्रकाशित किए हैं। विभिन्न विज्ञान विषयक अठारह पुस्तकें प्रकाशित तथा राजस्थान सरकार एवं भारत सरकार के कई मंत्रालयों द्वारा कई बार वह पुरस्कृत किए जा चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की भी कई संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। विज्ञान लेखन तथा जनसामान्य में विज्ञान चेतना उनकी अभिरुचि के कार्य हैं।
संप्रति : भू-जल विभाग, जोधपुर में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत।
डॉ. ओझा ने विज्ञान के अनेक क्षेत्रों में अनुसंधान कर शताधिक शोधपत्र एवं सात सौ पचास आलेख प्रकाशित किए हैं। विभिन्न विज्ञान विषयक अठारह पुस्तकें प्रकाशित तथा राजस्थान सरकार एवं भारत सरकार के कई मंत्रालयों द्वारा कई बार वह पुरस्कृत किए जा चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की भी कई संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। विज्ञान लेखन तथा जनसामान्य में विज्ञान चेतना उनकी अभिरुचि के कार्य हैं।
संप्रति : भू-जल विभाग, जोधपुर में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत।