Unnat Bharat
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- ISBN13: 9789352662524
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): General
1947 में आजादी मिलने के बाद से आज 21वीं सदी का भारत काफी अच्छी स्थिति में है। इसके बावजूद, हमेशा ही यह देश तबाही की कगार पर डगमगाता दिखता है। आधुनिक भारत पर केंद्रित यह पुस्तक गँवा दिए जानेवाले अवसरों, योजना बनाने में कमी और खराब कार्यान्वयन को बताती है, जिनमें अच्छी पहल के कुछ-एक उदाहरण ही मिलते हैं, जो सच में फायदेमंद साबित हुए। ऐसा लगता है कि इस देश की जितनी भी उपलब्धियाँ रही हैं वे संयोगवश थीं, जिन्हें किसी आपदा ने प्रेरित किया।
इस विद्वत्तापूर्ण और मौलिक रचना में शंकर अय्यर ने खेल को बदलकर रख देनेवाले सात अवसरों की समीक्षा की है—1991 का आर्थिक उदारीकरण, साठ के दशक की हरित क्रांति, 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण, सत्तर के दशक में ऑपरेशन फ्लड, 1982 की दोपहर के भोजन की स्कीम, नब्बे के दशक की सूचना क्रांति और 2005 में सूचना के अधिकार का अधिनियम। देश के इतिहास के ऐसे टर्निंग प्वॉइंट दूरदर्शिता या सावधानी से योजना बनाने के कारण नहीं आए, बल्कि उन बड़े संकटों के संयोगवश प्राप्त परिणाम थे, जिनसे हर हाल में निपटा जाना था।
मील के इन पत्थरों की प्रत्यक्ष जाँच और एक गहरे विश्लेषण के माध्यम से, लेखक की दलील है कि प्रभावी होने के साथ ही स्थायी परिवर्तन के लिए, भारत के शीर्ष नेतृत्व को उन तरीकों पर फिर से विचार करने की जरूरत है, जिन्हें वे देश के सामने खड़ी अनेक चुनौतियों से निपटने के लिए अपनाना चाहते हैं।
अतीत में हुई गलतियों का संज्ञान लेकर इनकी पुनरावृत्ति रोकने और उन्नत भारत बनाने का पथ प्रशस्त करती चिंतनपरक पुस्तक।
इस विद्वत्तापूर्ण और मौलिक रचना में शंकर अय्यर ने खेल को बदलकर रख देनेवाले सात अवसरों की समीक्षा की है—1991 का आर्थिक उदारीकरण, साठ के दशक की हरित क्रांति, 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण, सत्तर के दशक में ऑपरेशन फ्लड, 1982 की दोपहर के भोजन की स्कीम, नब्बे के दशक की सूचना क्रांति और 2005 में सूचना के अधिकार का अधिनियम। देश के इतिहास के ऐसे टर्निंग प्वॉइंट दूरदर्शिता या सावधानी से योजना बनाने के कारण नहीं आए, बल्कि उन बड़े संकटों के संयोगवश प्राप्त परिणाम थे, जिनसे हर हाल में निपटा जाना था।
मील के इन पत्थरों की प्रत्यक्ष जाँच और एक गहरे विश्लेषण के माध्यम से, लेखक की दलील है कि प्रभावी होने के साथ ही स्थायी परिवर्तन के लिए, भारत के शीर्ष नेतृत्व को उन तरीकों पर फिर से विचार करने की जरूरत है, जिन्हें वे देश के सामने खड़ी अनेक चुनौतियों से निपटने के लिए अपनाना चाहते हैं।
अतीत में हुई गलतियों का संज्ञान लेकर इनकी पुनरावृत्ति रोकने और उन्नत भारत बनाने का पथ प्रशस्त करती चिंतनपरक पुस्तक।
प्रसिद्ध वरिष्ठ पत्रकार-स्तंभकार-विश्लेषक शंकर अय्यर ने आजादी के बाद भारत के सामने आए सबसे बुरे आर्थिक संकट के दौरान बैंक ऑफ इंग्लैंड में अपना सोना गिरवी रखने की खबर सबसे पहले दी थी। उन्होंने गुपचुप तरीके से की गई उस काररवाई को बेनकाब कर भारतीयों और दुनिया को बताया था कि भारत कितने बड़े संकट में है। उन्होंने अखबार के पहले पन्ने पर रहनेवाली कई खबरों को ब्रेक किया और अनेक प्रसिद्ध पत्रिकाओं में सौ से अधिक कवर स्टोरी लिखीं।
अय्यर, ‘इंडियाज सोश्यो-इकोनॉमिक फॉल्ट लाइन’ के लेखक हैं, जिसमें देश के सौ सबसे बदहाल जिलों का अध्ययन किया गया है। पच्चीस वर्षों के राजनीतिक भ्रष्टाचार पर उनकी रिसर्च—‘स्मोकिंग गन्स’ ‘राइटिंग ए नेशन’ नामक पुस्तक का हिस्सा है। उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में उच्च शिक्षा पाई। वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में विल्फसन शेवनिंग फेलो रहे हैं, जहाँ उन्होंने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के जीवनचक्रों का अध्ययन किया।
अय्यर, ‘इंडियाज सोश्यो-इकोनॉमिक फॉल्ट लाइन’ के लेखक हैं, जिसमें देश के सौ सबसे बदहाल जिलों का अध्ययन किया गया है। पच्चीस वर्षों के राजनीतिक भ्रष्टाचार पर उनकी रिसर्च—‘स्मोकिंग गन्स’ ‘राइटिंग ए नेशन’ नामक पुस्तक का हिस्सा है। उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में उच्च शिक्षा पाई। वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में विल्फसन शेवनिंग फेलो रहे हैं, जहाँ उन्होंने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के जीवनचक्रों का अध्ययन किया।