Tulsi Rachnawali Vol-3

Tulsi Rachnawali Vol-3

by Dr. Ramji Tiwari

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  • ISBN13: 9789355219046
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature & Fiction
गोस्वामी तुलसीदास की विलक्षण प्रतिभा से प्रसूत अनंत काव्य-कीर्ति-कौमुदी में स्नात होकर समस्त विश्व के काव्य-रसिक धन्य, रससिक्त और श्रद्धानवत होते रहे हैं, किंतु सभी के दृष्टि-पथ में 'रामचरितमानस' ही आकाशदीप की भाँति विराजमान है। अन्य ग्रंथरत्न छायावेष्टित ही रह जाते हैं। जबकि लोक-परलोक चिंतन, व्यावहारिक चेतन जीवन और अध्यात्मबोध, संस्कृति और संस्कार, संघर्ष और आस्था तथा जय और पराजय से युक्त विलक्षण व्यक्तित्व उनके सभी ग्रंथ-रत्नों को देखने के बाद ही सगुण साकार हो पाता है। संस्कारशील और सुरुचि-संपन्न पाठक भी इस विश्वकवि के संपूर्ण वाड्मय का रसास्वादन कर लेने के बाद ही पूर्ण परितोष का लाभ ले पाता है। गोस्वामीजी के सभी ग्रंथरत्नों को एकत्र उपलब्ध कराने के पुनीत उद्देश्य से ही इस 'रचनावली' की योजना बनाई गई है।

ग्रंथावली का प्रथम खंड सुविज्ञ पाठकों को समर्पित है। इसमें गोस्वामीजी की 'रामलला नहछू', 'वैराग्य संदीपनी', 'बरवै रामायण', 'जानकी मंगल', 'पार्वती मंगल', 'रामाज्ञा-प्रश्न', 'दोहावली', 'श्रीकृष्ण गीतावली' कृतियों का समावेश है। आशा है, सुधी पाठकों को अभीप्सित परितोष मिल सकेगा।
डॉ. रामजी तिवारी मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के सेवानिवृत्त आचार्य एवं अध्यक्ष तथा हिंदी के प्रतिष्ठित विद्वान् हैं। उन्होंने लंबे समय तक पुणे और मुंबई विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान भी प्राप्त हुए हैं। वे अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार/सम्मान समितियों और संस्थाओं से भी संबद्ध हैं। प्रो. तिवारी ने एक दर्जन से अधिक शोध और समीक्षा-ग्रंथों का प्रणयन किया है। वे बहुभाषाविद् हैं। हिंदी के अतिरिक्त संस्कृत, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती और उर्दू भाषाओं पर उनका अधिकार है। वे अत्यंत कुशल अनुवादक भी हैं।

उन्होंने मराठी से हिंदी में लगभग एक दर्जन कृतियों का अनुवाद किया है, जिनमें विश्वास पाटिल का 'महानायक' बहुचर्चित है। उन्होंने अंग्रेजी से भी कई ग्रंथों का अनुवाद किया है, जिसमें आचार्य सुरेंद्र एस. बारलिंगे की पुस्तक का अनुवाद' भारतीय सौंदर्य सिद्धांत की नई परिभाषा' विशेष उल्लेखनीय है। साहित्य अकादमी की 'भारतीय साहित्य के निर्माता' श्रृंखला के अंतर्गत उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास पर बहुत अच्छा विनिबंध भी लिखा है। प्रो. तिवारी की 'भारतीय आंदोलन समय और साहित्य' शीर्षक पुस्तक शीघ्र प्रकाश्य है।

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