Tulsi Rachna-Sanchayan
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- ISBN13: 9789395386333
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature & Fiction
तुलसी रचना संचयन एक चिर कालिक अभाव की परिपूर्ति का उपक्रम है। समृद्ध भारतीय ज्ञान-परंपरा और लोकमंगल विधायिनी, अप्रतिहत आध्यात्मिक आस्था के सजग प्रहरी महात्मा तुलसीदास का 'रामचरितमानस' भारतीय संस्कृति का श्रेष्ठतम प्रतीक है। किंतु 'मानस' की अतिव्याप्त लोकप्रियता के कारण उनके अन्य मूल्यवान और कालजयी ग्रंथ प्रायः छायावेष्टित ही रह जाते हैं। इस 'संचयन' में गोस्वामीजी के सर्वस्वीकृत बारह ग्रंथों के महत्त्वपूर्ण अंशों को संकलित किया गया है।
पाठकों की सुविधा के लिए आरंभ में ही सभी कृतियों का किंचित् विस्तार से परिचय दे दिया गया है, जिससे वे चयनित अंशों में मूल प्रतिपाद्य, शिल्प-सौष्ठव और कवि-दृष्टि का साक्षात्कार कर सकें। अंशों के चयन में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि कृति विशेष का सर्वोत्तम सामने आ जाए और सभी अंशों के योग से राम-कथा एवं गोस्वामीजी के कृतित्व का समग्र स्वरूप स्पष्ट हो जाए, जिससे पाठकों के लिए संपूर्ण तुलसी वाड्मय का सम्यक् रसास्वादन और समाकलन संभव हो सके। पाठकों की सुविधा के लिए परिशिष्ट में कठिन शब्दों के अर्थ दे दिए गए हैं।
आशा है, यह संचयन विद्यार्थियों, शोधार्थियों और सामान्य अध्येताओं के लिए प्रेरक और उपकारक सिद्ध होगा।
पाठकों की सुविधा के लिए आरंभ में ही सभी कृतियों का किंचित् विस्तार से परिचय दे दिया गया है, जिससे वे चयनित अंशों में मूल प्रतिपाद्य, शिल्प-सौष्ठव और कवि-दृष्टि का साक्षात्कार कर सकें। अंशों के चयन में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि कृति विशेष का सर्वोत्तम सामने आ जाए और सभी अंशों के योग से राम-कथा एवं गोस्वामीजी के कृतित्व का समग्र स्वरूप स्पष्ट हो जाए, जिससे पाठकों के लिए संपूर्ण तुलसी वाड्मय का सम्यक् रसास्वादन और समाकलन संभव हो सके। पाठकों की सुविधा के लिए परिशिष्ट में कठिन शब्दों के अर्थ दे दिए गए हैं।
आशा है, यह संचयन विद्यार्थियों, शोधार्थियों और सामान्य अध्येताओं के लिए प्रेरक और उपकारक सिद्ध होगा।
डॉ. रामजी तिवारी
जन्म : 13 जुलाई, 1939 उनुरखा, कादीपुर, सुलतानपुर (उ.प्र.)
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), एम.ए. (अंग्रेजी), साहित्यरत्न (संस्कृत), एम.एड., पी-एच.डी.।
प्रवास : तीन वर्ष तक भारतीय उच्चायोग के साथ दक्षिण अमेरिका में रहकर भारतीय संस्कृति और साहित्य की सेवा। संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, गयाना, सूरीनाम, ट्रिनिडाड, मॉरीशस जैसे देशों का भ्रमण और अनेक स्थानों पर व्याख्यान ।
प्रकाशन : 9 मौलिक पुस्तकें, जिनमें स्वातंत्र्योत्तर समीक्षा में काव्य-मूल्य, साहित्य चिंतन और सृजन, गोस्वामी तुलसीदास, रचना मीमांसा, रचनानुशीलन विशेष चर्चित। मराठी और अंग्रेजी से 10 पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद,
मराठी उपन्यास संभाजी का हिंदी अनुवाद, साहित्य अकादेमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत। 11 पुस्तकों का संपादन, जिनमें भारतीय साहित्य विमर्श, समीक्षा के विविध आधार, शताब्दी पुरुष निराला, आकलन गोविंद मिश्र विशेष चर्चित। हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में नियमित लेखन। आकाशवाणी, दूरर्शन के कार्यक्रमों, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक, सांस्कृतिक संगोष्ठियों में सक्रिय सहभाग।
सम्मान: क्षेत्रीय/राष्ट्रीय स्तर के 31 सम्मानों और पुरस्कारों से सम्मानित। बंबई विश्वविद्यालय से आचार्य एवं हिंदी विभागाध्यक्ष पद से सेवामुक्त ।
संप्रति : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में अतिथि लेखक।
जन्म : 13 जुलाई, 1939 उनुरखा, कादीपुर, सुलतानपुर (उ.प्र.)
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), एम.ए. (अंग्रेजी), साहित्यरत्न (संस्कृत), एम.एड., पी-एच.डी.।
प्रवास : तीन वर्ष तक भारतीय उच्चायोग के साथ दक्षिण अमेरिका में रहकर भारतीय संस्कृति और साहित्य की सेवा। संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, गयाना, सूरीनाम, ट्रिनिडाड, मॉरीशस जैसे देशों का भ्रमण और अनेक स्थानों पर व्याख्यान ।
प्रकाशन : 9 मौलिक पुस्तकें, जिनमें स्वातंत्र्योत्तर समीक्षा में काव्य-मूल्य, साहित्य चिंतन और सृजन, गोस्वामी तुलसीदास, रचना मीमांसा, रचनानुशीलन विशेष चर्चित। मराठी और अंग्रेजी से 10 पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद,
मराठी उपन्यास संभाजी का हिंदी अनुवाद, साहित्य अकादेमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत। 11 पुस्तकों का संपादन, जिनमें भारतीय साहित्य विमर्श, समीक्षा के विविध आधार, शताब्दी पुरुष निराला, आकलन गोविंद मिश्र विशेष चर्चित। हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में नियमित लेखन। आकाशवाणी, दूरर्शन के कार्यक्रमों, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक, सांस्कृतिक संगोष्ठियों में सक्रिय सहभाग।
सम्मान: क्षेत्रीय/राष्ट्रीय स्तर के 31 सम्मानों और पुरस्कारों से सम्मानित। बंबई विश्वविद्यालय से आचार्य एवं हिंदी विभागाध्यक्ष पद से सेवामुक्त ।
संप्रति : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में अतिथि लेखक।