Tiger Hill Ka Hero : Param Vir Chakra Vijeta Ki Atmakatha (Hindi Translation of The Hero of Tiger Hill)
₹350.00
₹298.00
14% OFF
Ships in 1 - 2 Days
Secure Payment Methods at Checkout
- ISBN13: 9789355213259
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Sociology
3 जुलाई, 1999 की रात, मात्र 19 साल के योगेंद्र सिंह यादव को 18 ग्रेनेडियर्स की 'घातक प्लाटून' के साथ एक बेहद महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह जिम्मेदारी अभेद्य टाइगर हिल पर कब्ज़ा जमाने की थी। तोलोलिंग हिल पर कब्ज़ा हो जाने से उत्साहित यूनिट का जोश हाई था, लेकिन उसने भारी नुकसान भी झेला था।
दुर्गम इलाके, जमा देनेवाली सर्दी और दुश्मन की भयंकर गोलाबारी का सामना करते हुए, 'घातक प्लाटून' में सबसे पहले वही चोटी पर पहुँचे थे। भले ही कई गोलियाँ और ग्रेनेड के टुकड़े उनके शरीर को भेद चुके थे, फिर भी उन्होंने दुश्मन के बंकरों पर धावा बोला और रेजिमेंट के लिए रास्ता साफ किया, ताकि वे टाइगर हिल की ऊँची चोटियों पर फिर से कब्ज़ा जमा सकें।
कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में असाधारण वीरता, अद्भुत शौर्य, अदम्य साहस और संकल्प का परिचय दिया, जिसके कारण वे भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान, 'परमवीर चक्र' को प्राप्त करनेवाले सबसे कम उम्र के सैनिक बने।
दुर्गम इलाके, जमा देनेवाली सर्दी और दुश्मन की भयंकर गोलाबारी का सामना करते हुए, 'घातक प्लाटून' में सबसे पहले वही चोटी पर पहुँचे थे। भले ही कई गोलियाँ और ग्रेनेड के टुकड़े उनके शरीर को भेद चुके थे, फिर भी उन्होंने दुश्मन के बंकरों पर धावा बोला और रेजिमेंट के लिए रास्ता साफ किया, ताकि वे टाइगर हिल की ऊँची चोटियों पर फिर से कब्ज़ा जमा सकें।
कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में असाधारण वीरता, अद्भुत शौर्य, अदम्य साहस और संकल्प का परिचय दिया, जिसके कारण वे भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान, 'परमवीर चक्र' को प्राप्त करनेवाले सबसे कम उम्र के सैनिक बने।
सूबेदार मेजर (मानद कैप्टेन) योगेंद्र सिंह यादव भारत में 'परमवीर चक्र' अलंकरण से सुशोभित किए जाने वाले सबसे कम उम्र के सैनिक हैं। कारगिल युद्ध में अद्वितीय वीरता और साहस का परिचय देने के लिए उन्हें देश का सर्वोच्च सैन्य सम्मान दिया गया था। टाइगर हिल के दुर्गम इलाके में स्वेच्छा से सबसे आगे चलकर अपनी पलाटून का पथ-प्रशस्त करने के बाद यादव ज़बरदस्त फायरिंग के बीच रेंगते हुए आगे बढ़ते रहे, ताकि दुश्मन के मोर्चे को खामोश किया जा सके।
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर के रहने वाले योगेंद्र सिंह यादव मात्र सोलह साल की आयु में सेना में शामिल हुए। अपने हर कदम के साथ मिलती उपलब्धियों के कारण सामान्य शुरुआत के बाद उन्होंने बड़ी-बड़ी कामयाबियाँ हासिल कीं।
उन्होंने बरेली स्थित जूनियर लीडर्स एकेडमी में काम किया, जहाँ जेसीओ व सैनिकों को सब यूनिट स्तर पर युद्ध एवं शांति काल में कनिष्ठ नेतृत्व हेतु तैयार किया जाता है। दिसंबर 2021 में वह सेवानिवृत्त हुए। दैनिक जीवन में व्यावहारिक जानकारी के साथ आध्यात्मिक ज्ञान का संतुलन बनाने वाले यादव की पहचान एक बेहतरीन प्रेरक वक्ता और जोश भर देनेवाले लीडर के रूप में है।
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर के रहने वाले योगेंद्र सिंह यादव मात्र सोलह साल की आयु में सेना में शामिल हुए। अपने हर कदम के साथ मिलती उपलब्धियों के कारण सामान्य शुरुआत के बाद उन्होंने बड़ी-बड़ी कामयाबियाँ हासिल कीं।
उन्होंने बरेली स्थित जूनियर लीडर्स एकेडमी में काम किया, जहाँ जेसीओ व सैनिकों को सब यूनिट स्तर पर युद्ध एवं शांति काल में कनिष्ठ नेतृत्व हेतु तैयार किया जाता है। दिसंबर 2021 में वह सेवानिवृत्त हुए। दैनिक जीवन में व्यावहारिक जानकारी के साथ आध्यात्मिक ज्ञान का संतुलन बनाने वाले यादव की पहचान एक बेहतरीन प्रेरक वक्ता और जोश भर देनेवाले लीडर के रूप में है।