The Untouchables: Who Were They and Why They Became Untouchables? | Achhoot: Kyon, Kaun Aur Kaise? Book In Hindi By Dr. Babasaheb Ambedkar
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- ISBN13: 9789355625120
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): History
भारतरत्न डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर जीवनपर्यंत शोषितों-वंचितों के उत्थान और उन्नयन के लिए कृत-संकल्पित रहे। उनके चिंतन में सदैव इनके कल्याण का भाव रहता था। उसी क्रम में उन्होंने अनेक लेख-पुस्तकें लिखीं, जो उनके इस सुचिंतित मंतव्य की परिचायक हैं। प्रस्तुत पुस्तक 'अछूत' इसी चिंतन का सुपरिणाम है।
अछूत कौन हैं और अस्पृश्यता की उत्पत्ति क्या है ? ये मुख्य विषय हैं, जिनकी जाँच करने का प्रयास किया गया है और जिनके निष्कर्ष इस पुस्तक में प्रस्तुत किए गए हैं। इस जाँच को शुरू करने से पहले कुछ प्रारंभिक प्रश्नों पर विचार करना आवश्यक है। पहला प्रश्न यह है-क्या हिंदू ही दुनिया में अकेले ऐसे लोग हैं, जो अस्पृश्यता का पालन करते हैं ? दूसरा प्रश्न यह है- यदि अस्पृश्यता गैर-हिंदुओं द्वारा भी मानी जाती है, तो हिंदुओं के बीच प्रचलित अस्पृश्यता की तुलना गैर-हिंदुओं की अस्पृश्यता से कैसे की जा सकती है ? इस विषय पर अब तक किए गए अध्ययनों में यह तुलना शायद ही की गई है।
छुआछूत उन्मूलन और समाज में पारस्परिकता की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण पुस्तक, जो हर भारतीय के चिंतन को दिशा देकर सामाजिक समरसता विकसित करने का पथ-प्रशस्त करेगी।
अछूत कौन हैं और अस्पृश्यता की उत्पत्ति क्या है ? ये मुख्य विषय हैं, जिनकी जाँच करने का प्रयास किया गया है और जिनके निष्कर्ष इस पुस्तक में प्रस्तुत किए गए हैं। इस जाँच को शुरू करने से पहले कुछ प्रारंभिक प्रश्नों पर विचार करना आवश्यक है। पहला प्रश्न यह है-क्या हिंदू ही दुनिया में अकेले ऐसे लोग हैं, जो अस्पृश्यता का पालन करते हैं ? दूसरा प्रश्न यह है- यदि अस्पृश्यता गैर-हिंदुओं द्वारा भी मानी जाती है, तो हिंदुओं के बीच प्रचलित अस्पृश्यता की तुलना गैर-हिंदुओं की अस्पृश्यता से कैसे की जा सकती है ? इस विषय पर अब तक किए गए अध्ययनों में यह तुलना शायद ही की गई है।
छुआछूत उन्मूलन और समाज में पारस्परिकता की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण पुस्तक, जो हर भारतीय के चिंतन को दिशा देकर सामाजिक समरसता विकसित करने का पथ-प्रशस्त करेगी।
भीमराव रामजी आंबेडकर
उपाख्य डॉ. बाबासाहब आंबेडकर (14 अप्रैल, 1891) प्रसिद्ध भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज-सुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था; श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।
भारतीय संविधान के शिल्पकार, आधुनिक भारतीय चिंतक, समाज-सुधारक भारतरत्न से सम्मानित बाबासाहब भीमराव आंबेडकर का निधन 6 दिसंबर, 1956 को हुआ। डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा दिए गए सामाजिक योगदान और उनकी उपलब्धियों को स्मरण करने के लिए हर वर्ष 6 दिसंबर को 'महापरिनिर्वाण दिवस' मनाया जाता है।
उपाख्य डॉ. बाबासाहब आंबेडकर (14 अप्रैल, 1891) प्रसिद्ध भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज-सुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था; श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।
भारतीय संविधान के शिल्पकार, आधुनिक भारतीय चिंतक, समाज-सुधारक भारतरत्न से सम्मानित बाबासाहब भीमराव आंबेडकर का निधन 6 दिसंबर, 1956 को हुआ। डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा दिए गए सामाजिक योगदान और उनकी उपलब्धियों को स्मरण करने के लिए हर वर्ष 6 दिसंबर को 'महापरिनिर्वाण दिवस' मनाया जाता है।