The Punjab Story | Kahani Ghayal Punjab Ki Hindi Edition

The Punjab Story | Kahani Ghayal Punjab Ki Hindi Edition

by K.P.S. Gill

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  • ISBN13: 9789355629623
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): History
6 जून, 1984 भारतीय सेना ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर काररवाई करके 'ऑपरेशन ब्लूस्टार' कहलाने वाली ऐतिहासिक और अभूतपूर्व घटना में चरमपंथी सिख नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके अनुयायियों द्वारा किए जा रहे आतंकवाद के बढ़ते खतरे को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। लेकिन इसने अपने पीछे कुछ अनसुलझे राजनीतिक सवाल छोड़ दिए जो आने वाले कई सालों तक पंजाब की स्थिरता के लिए खतरा बने रहे।

कैसे. तीन साल की छोटी सी अवधि में, भारत का गतिशील सीमावर्ती राज्य एक राष्ट्रीय समस्या बन गया ? इसके लिए कौन जिम्मेदार है-चेतावनियों के बावजूद संकट को बढ़ने देने वाली केंद्र सरकार या लंबे समय से चल रहा अकाली आंदोलन या आतंकवादियों का कुख्यात गिरोह जिसने एक पवित्र मंदिर को आतंकवादियों के लिए शरणस्थली बना दिया ?

ऑपरेशन ब्लूस्टार के दो महीने बाद पहली बार प्रकाशित हुई 'द पंजाब स्टोरी' भारत के कुछ सबसे प्रतिष्ठित सार्वजनिक हस्तियों और पत्रकारों की नजर से पंजाब की जटिल पहेली को एक साथ जोड़ती है। नाटक से जुड़े लोगों के जुनून और दृढ़ विश्वास के साथ लिखते हुए वे पंजाब की उलझन के अतीत, वर्तमान और भविष्य पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। उनके कई निष्कर्षों की सच्चाई समय के साथ सामने आई है।
कंवर पाल सिंह गिल (29.12.1934-26.5.2017) एक लेखक, संपादक, वक्ता, आतंकवाद-विरोध पर सलाहकार थे। गिल सन् 1958 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए और उन्हें पूर्वोत्तर भारत के असम और मेघालय राज्यों में नियुक्त किया गया। पंजाब में उनके सराहनीय काम के लिए उन्हें 'सुपरकॉप' कहा गया है, जहाँ वे 1988 से 1990 तक पुलिस महानिदेशक रहे। गिल संघर्ष प्रबंधन संस्थान (आई.सी.एम.) के संस्थापक अध्यक्ष थे। वे भारतीय हॉकी महासंघ (आई.एच.एफ.) के अध्यक्ष रहे।

सन् 2002 की गुजरात हिंसा के बाद गिल को गुजरात राज्य का सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया था। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी नियुक्ति पर टिप्पणी करते हुए कहा था, 'गिल जैसे अनुभवी व्यक्ति को मेरे सुरक्षा सलाहकार के रूप में पाना अच्छी बात है। गिल ने पंजाब आतंकवाद की समस्या को बहुत प्रभावी ढंग से निपटा था।'

सन् 1989 में उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया। गिल ने छह पुस्तकें लिखीं-'पंजाब : द नाइट्स ऑफ फॉल्सहुड', 'मोस्ट वांटेड', 'पंजाब स्टोरी', 'इसलाम और धार्मिक दंगे एक केस स्टडी-दंगे और गलतियाँ', 'कुरह फिरे परधान', 'पंजाब : भीतर के दुश्मन : विषाक्त पदार्थों से भरी एक घायल भूमि की पीड़ा'।

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