The Art of Compounding Impact How Small Changes Can Lead To Big Results | Jumpstart Your Income, Your Life, Your Success Book In Hindi

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by Raj Goswami

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  • ISBN13: 9789355626530
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature
इंपैक्ट का आधार गति पर होता है। जितनी गति तीव्र, उसका उतना ही तीव्र इंपैक्ट । कंपाउंडिंग का अर्थ ही एक के बाद एक इंपैक्ट का एक-दूसरे में एकत्र होते जाना है। जीवन में भी एक घटना दूसरी घटना को प्रभावित करती है, परिणामस्वरूप उसका अच्छा या खराब परिणाम आता है। जीवन में भी हम जो कुछ भी करते हैं, वह इसी प्रकार से एक सामान्य कृत्य से शुरू होकर एक बड़े बल में बदल जाता है, क्योंकि हर प्रयास स्नोबॉल इफेक्ट खड़ा करता है। इस पुस्तक में ऐसे परिणामों की चर्चा है, परंतु मुख्य फोकस ऐसी घटनाओं, परिस्थितियों या प्रोसेस पर है, जिसमें उसका एक इंपैक्ट होता है। कई बार हम हमारे साथ होने वाली मामूली घटनाओं के प्रति सजग नहीं होते; परंतु लंबे समय के बाद वे हमारे जीवन में क्रांतिकारी अनुभव के रूप में साबित होती हैं।

कंपाउंडिंग इंपैक्ट के कुछ प्रमुख बिंदु -

तुम जगत् में जो परिवर्तन देखना चाहते हो, वह तुम्हारे अंदर आना चाहिए।
थोड़ा-बहुत आचरण ढेर सारे उपदेश की अपेक्षा सफल रहता है।
मुझे भविष्य जानने में कोई रुचि नहीं है। मुझे वर्तमान की चिंता है। ईश्वर ने मुझे आने वाले क्षण पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।
तुम जो करते हो, वह तुम्हें शायद तुच्छ लगता है, लेकिन वह करना तुम्हारे लिए महत्त्वपूर्ण है।
निरंतर प्रगति, यह जीवन का नियम है और जो मनुष्य अपने आप को सच्चा साबित करने के लिए अपनी परंपरागत बात को उसी स्थिति में रखता है, वह अपने आप को गलत स्थिति में पहुँचा देता है।
राज गोस्वामी वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं। वे अंग्रेजी विषय में ग्रेजुएट हैं। सन् 1986 में अभ्यास करते हुए उन्होंने आणंद शहर के दैनिक 'नया पड़कार' से अपने कॅरियर का आरंभ किया था। उसके बाद वे 'गुजरात समाचार' के मुंबई संस्करण से जुड़े थे; 16 वर्ष तक कार्यरत रहकर संपादक बने। सन् 2003 में अहमदाबाद से आरंभ हुए 'दिव्य भास्कर' में संपादक के रूप में जुड़े और बाद में वडोदरा में भी 'दिव्य भास्कर' के संपादक के रूप में कार्यरत रहे।

सन् 2007 में 'संदेश दैनिक' के संपादक बने। उन्होंने तीन वर्ष तक 'दिव्य भास्कर' 'डिजिटल एडिटर' के रूप में भी काम किया था। उन्होंने इन सब अखबारों में समकालीन विषयों, साहित्य, सिनेमा, कला, विज्ञान और दर्शन पर नियमित रूप से लेख लिखे हैं। 'इकिगाई' के पश्चात् यह उनकी तीसरी पुस्तक है। इससे पहले उन्होंने इजराइल के इतिहासकार युवल नोआ हरारी की प्रसिद्ध पुस्तक 'सेपियंस : मानव जाति का संक्षिप्त इतिहास' का गुजराती भाषा में अनुवाद किया।

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