Tap Aur Tapasya

Tap Aur Tapasya

by Shobha Tripathi

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  • ISBN13: 9789394534025
  • Binding: Hardcover
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature
मैं एक घर छोड़ा, लाखों घर मेरे हो गए, मैं लाखों परिवार का हिस्सा बन गया, शायद एक गृहस्थ इतने घर नहीं देख सकता।

संन्यासी जीवन में सभी कुछ त्यागना पड़ता है। आज मैं धन्य हो गया कि मेरे बेटे ने धर्म का, सेवा का, जग के कल्याण कार्य हेतु जो कार्य किया, वह विलक्षण व्यक्ति ही करते हैं। जब गृह त्याग कर गए थे तो घर में सभी दुःखी व परेशान थे, परंतु आज सभी अपने को धन्य मान रहे हैं।

तभी एक स्वर स्वामीजी के कानों में पड़ा, जब से आपने गृह त्यागा है, तब से माँ ने मिष्टान्न को हाथ भी नहीं लगाया है। जब भी खाने को कहो तो वह कहती है कि मिष्टान्न तो वह अपने बेटे (स्वामीजी) के हाथ से ही खाएँगी। --इसी उपन्यास से

आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरिजी महाराज एक चुंबकीय व्यक्तित्व के स्वामी हैं। ऊँचा कद, गौर वर्ण, उन्‍नत भाल, आभायुक्‍त देव सदृश्य मुखमंडल, देवत्वयुक्त प्रभावशाली महान्‌ व्यक्तित्व, उस पर गेरुए वस्त्र, जैसे उनके गौर वर्ण में घुलकर स्वयं गेरुआमय हो गए हों! वह मात्र संन्यासी ही नहीं, जैसे संन्यास उनके लिए हो उनके चेहरे पर सदा छाई रहनेवाली पवित्र व सौम्य मुसकान लोगों को स्वयं ही नत- मस्तक कर देती है; मन में श्रद्धा सी उमड़ पड़ती है। बच्चों में बच्चों की निश्च्छल मुसकान, महिलाओं में कभी वह भाई बनकर, माताओं के बेटा बनकर, युवतियों के पितृ सदृश्य बन वह सभी के सम्मान का केंद्र बन जाते हैं |

ऐसे तपोनिष्ठ, समाज के पथ-प्रदर्शक और मानवता के अग्रदूत पूज्य स्वामीजी के प्रेरणामय व त्यागपूर्ण जीवन पर अत्यंत भावप्रवण, मार्मिक, पठनीय औपन्यासिक कृति है “तप और तपस्या |
शोभा त्रिपाठी -- जन्म : 2 फरवरी, 1962 | शिक्षा : एम.ए. (आधुनिक भारतीय इतिहास), एल-एल.बी., बी.एड. |

कार्यक्षेत्र : आकाशवाणी मथुरा एवं लखनऊ केंद्र से समय-समय पर लघु कहानियों का प्रसारण; गुरुनानक गर्ल्स कॉलेज लखनऊ में अध्यापन कार्य ।

लेखन : कहानी-संग्रह “जेवर” तथा “सिसकियाँ' तथा उपन्यास “दंश' प्रकाशित। धारावाहिक 'चाहत अपनी-अपनी” का पटकथा लेखन।

पुरस्कार-सम्मान : भाऊराव देवरस सेवा न्यास लखनऊ द्वारा “पं. प्रताप नारायण मिश्र स्मृति युवा साहित्यकार सम्मान; शैलीकार प्रभाकर सम्मान समिति सहारनपुर द्वारा 'शैलीकार सम्मान '; श्रीमती गायत्री देवी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा कहानी-संग्रह 'जेवर' पर शोध उपरांत पी-एच.डी. प्रदान की गई।

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