Suryakant Tripathi Nirala Ki Chayanit Rachanayen
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- ISBN13: 9789390825493
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की चयनित रचनाएँ एक महत्वपूर्ण काव्य और गद्य संग्रह है, जिसमें निराला की विभिन्न रचनाओं का संकलन किया गया है। इस पुस्तक में उनके श्रेष्ठ कविताएँ, कहानियाँ और अन्य साहित्यिक रचनाएँ शामिल हैं, जो उनके साहित्यिक योगदान और विचारधारा को प्रमुख रूप से व्यक्त करती हैं।
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की चयनित रचनाएँ में उनके जीवन की गहरी संवेदनाएँ, समाज के प्रति उनकी दृष्टि, और साहित्य में उनके योगदान का चित्रण मिलता है। यह पुस्तक निराला की साहित्यिक यात्रा का एक अहम हिस्सा है, जिसमें उनकी कविताओं, गद्य रचनाओं, और कहानियों को एक स्थान पर संकलित किया गया है। इन रचनाओं में निराला ने जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे प्रेम, युद्ध, समाज, और आध्यात्मिकता पर गहरी सोच व्यक्त की है।
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की चयनित रचनाएँ में उनके जीवन की गहरी संवेदनाएँ, समाज के प्रति उनकी दृष्टि, और साहित्य में उनके योगदान का चित्रण मिलता है। यह पुस्तक निराला की साहित्यिक यात्रा का एक अहम हिस्सा है, जिसमें उनकी कविताओं, गद्य रचनाओं, और कहानियों को एक स्थान पर संकलित किया गया है। इन रचनाओं में निराला ने जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे प्रेम, युद्ध, समाज, और आध्यात्मिकता पर गहरी सोच व्यक्त की है।
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
जन्म : वसंत पंचमी, 1896। व्यक्तित्व में कबीर जैसा फक्खड़पन, काव्य-चेतना में तुलसी की-सी सांस्कृतिक निष्ठा, सूर की मधुर श्रृंगारिकता, प्रज्ञा में शंकर-विवेकानंद का तत्त्व-मंथन तथा कला-पक्ष में केशव की दुरूहता लेकर पं. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ने हिंदी-जगत् में पदार्पण किया। बचपन से ही संकटों से संघर्ष करते हुए निराला ने अपने दृढ़ व्यक्तित्व का निर्माण किया। उनके विद्रोही व्यक्तित्व की भाँति ही उनकी कविताओं का स्वर मानवीय संवेदना से मुखर हुआ।
उनकी कविताओं में निराशा की उदासी, प्यार की बोझिल प्यास, जीवन में किसी से चिर-मिलन की आकांक्षा से टकराकर संगीत के स्वतंत्र आरोहण- अवरोहण के स्वर ध्वनित-प्रतिध्वनित होते हैं, साथ ही प्रकृति, प्रेम-सौंदर्य की वाणी भी गुंजित होती है। निस्संदेह महाप्राण निराला आधुनिक कविता-युग के प्रवर्तक हैं। उनकी रचनाधर्मिता सर्वतोमुखी है। उन्होंने विपुल साहित्य, यानी उपन्यास, कविता, कहानी, निबंध और जीवनियाँ लिखकर हिंदी साहित्यिक जगत् को समृद्ध किया और अपनी प्रखर लेखनी से अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया।
स्मृतिशेष : 15 अक्तूबर, 1961
जन्म : वसंत पंचमी, 1896। व्यक्तित्व में कबीर जैसा फक्खड़पन, काव्य-चेतना में तुलसी की-सी सांस्कृतिक निष्ठा, सूर की मधुर श्रृंगारिकता, प्रज्ञा में शंकर-विवेकानंद का तत्त्व-मंथन तथा कला-पक्ष में केशव की दुरूहता लेकर पं. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ने हिंदी-जगत् में पदार्पण किया। बचपन से ही संकटों से संघर्ष करते हुए निराला ने अपने दृढ़ व्यक्तित्व का निर्माण किया। उनके विद्रोही व्यक्तित्व की भाँति ही उनकी कविताओं का स्वर मानवीय संवेदना से मुखर हुआ।
उनकी कविताओं में निराशा की उदासी, प्यार की बोझिल प्यास, जीवन में किसी से चिर-मिलन की आकांक्षा से टकराकर संगीत के स्वतंत्र आरोहण- अवरोहण के स्वर ध्वनित-प्रतिध्वनित होते हैं, साथ ही प्रकृति, प्रेम-सौंदर्य की वाणी भी गुंजित होती है। निस्संदेह महाप्राण निराला आधुनिक कविता-युग के प्रवर्तक हैं। उनकी रचनाधर्मिता सर्वतोमुखी है। उन्होंने विपुल साहित्य, यानी उपन्यास, कविता, कहानी, निबंध और जीवनियाँ लिखकर हिंदी साहित्यिक जगत् को समृद्ध किया और अपनी प्रखर लेखनी से अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया।
स्मृतिशेष : 15 अक्तूबर, 1961