Smriti Kalp | Malti Joshi Biography An Indian Novelist Book in Hindi
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- ISBN13: 9789355627711
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Novel
आत्मकथ्य
समय के इस सिंधु में है, बिंदु भर अस्तित्व मेरा इसलिए अभिमान भी करती नहीं मैं। प्राप्य जो मेरा रहा है, वह मुझे सब मिल गया है परम तृप्ति से हृदय का कलश नित भरती रही मैं।
छू न पाता है मुझे यह, नुपुल कोलाहल जगत् का क्योंकि अपने आप से संवाद होता निरंतर एक दुनिया साथ मेरे चल रही है जन्म से ही और भीतर पल रही है, दूसरी दुनिया समांतर
उम्र के सोपान चढ़ती जा रही हूँ अनवरत मैं कब कहाँ विश्राम होगा, यह अभी अज्ञात है आज तक जो भी रचा है सब उस रचयिता की कृपा है श्रेय की भागी बनी मैं यह अनोखी बात है
थी नहीं स्पर्धा किसी से, और ईर्ष्या भी नहीं हैं प्रभु के रूप में हम सब, सत्य मैं यह जानती हूँ राह में जो भी चले थे सब बंधु थे, सब मित्र ही थे आज मैं नव शीश ही आभार सबका मानती हूँ
- मालती जोशी (2023)
समय के इस सिंधु में है, बिंदु भर अस्तित्व मेरा इसलिए अभिमान भी करती नहीं मैं। प्राप्य जो मेरा रहा है, वह मुझे सब मिल गया है परम तृप्ति से हृदय का कलश नित भरती रही मैं।
छू न पाता है मुझे यह, नुपुल कोलाहल जगत् का क्योंकि अपने आप से संवाद होता निरंतर एक दुनिया साथ मेरे चल रही है जन्म से ही और भीतर पल रही है, दूसरी दुनिया समांतर
उम्र के सोपान चढ़ती जा रही हूँ अनवरत मैं कब कहाँ विश्राम होगा, यह अभी अज्ञात है आज तक जो भी रचा है सब उस रचयिता की कृपा है श्रेय की भागी बनी मैं यह अनोखी बात है
थी नहीं स्पर्धा किसी से, और ईर्ष्या भी नहीं हैं प्रभु के रूप में हम सब, सत्य मैं यह जानती हूँ राह में जो भी चले थे सब बंधु थे, सब मित्र ही थे आज मैं नव शीश ही आभार सबका मानती हूँ
- मालती जोशी (2023)
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