Smartphone Bhagayen, Bachpan Bachayen
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- ISBN13: 9789349928985
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Health & Yoga
आधुनिक युग में स्मार्टफोन ने जहाँ हमारी जिंदगी को आसान बनाया है, वहीं यह बच्चों के बचपन की मासूमियत और माता-पिता के साथ संवाद को भी धीरे-धीरे निगल गया है। बच्चे पुस्तकें पढ़ने के बजाय अपना ज्यादातर समय स्क्रीन पर बिता रहे हैं, जिससे बच्चों की याददाश्त और कल्पनाशक्ति कमजोर होती जा रही है। यही सच्चाई इस पुस्तक 'स्मार्टफोन भगाएँ, बचपन बचाएँ' का मूल विषय है, जो बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों तीनों के लिए एक चेतावनी और मार्गदर्शन का कार्य करेगी।
इस पुस्तक में अत्यंत सरल, संवेदनशील और प्रभावशाली भाषा में बताया गया है कि कैसे स्मार्टफोन की लत आजकल के बच्चों को खेल-कूद, रचनात्मकता और सामाजिकता से दूर कर रही है। लगातार स्क्रीन पर बिताए गए घंटे न केवल बच्चों की दृष्टि और उनकी कल्पनाशक्ति को सीमित कर देते हैं, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से कमजोर भी बनाते हैं।
इस पुस्तक में अनेक उदाहरण, शोध और वैज्ञानिक तथ्यों के माध्यम से यह सिद्ध किया गया है कि स्मार्टफोन की अति बच्चों के लिए एक घातक जहर बन चुकी है। इस पुस्तक में सिर्फ समस्या ही नहीं, इसके समाधान भी सुझाए गए हैं; जैसे परिवार में नो मोबाइल जोन बनाना, बच्चों के साथ संवाद बढ़ाना, प्रकृति और पुस्तकों से जुड़ाव बढ़ाना तथा डिजिटल अनुशासन का पालन करना इत्यादि। पुस्तक में अभिभावकों को यह भी समझाया गया है कि बच्चों को मोबाइल फोन से दूर रखना सिर्फ पाबंदी नहीं, बल्कि प्रेम और समझदारी का प्रतीक है।
इस पुस्तक में अत्यंत सरल, संवेदनशील और प्रभावशाली भाषा में बताया गया है कि कैसे स्मार्टफोन की लत आजकल के बच्चों को खेल-कूद, रचनात्मकता और सामाजिकता से दूर कर रही है। लगातार स्क्रीन पर बिताए गए घंटे न केवल बच्चों की दृष्टि और उनकी कल्पनाशक्ति को सीमित कर देते हैं, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से कमजोर भी बनाते हैं।
इस पुस्तक में अनेक उदाहरण, शोध और वैज्ञानिक तथ्यों के माध्यम से यह सिद्ध किया गया है कि स्मार्टफोन की अति बच्चों के लिए एक घातक जहर बन चुकी है। इस पुस्तक में सिर्फ समस्या ही नहीं, इसके समाधान भी सुझाए गए हैं; जैसे परिवार में नो मोबाइल जोन बनाना, बच्चों के साथ संवाद बढ़ाना, प्रकृति और पुस्तकों से जुड़ाव बढ़ाना तथा डिजिटल अनुशासन का पालन करना इत्यादि। पुस्तक में अभिभावकों को यह भी समझाया गया है कि बच्चों को मोबाइल फोन से दूर रखना सिर्फ पाबंदी नहीं, बल्कि प्रेम और समझदारी का प्रतीक है।
हरिवंश राय
जन्म : 2 नवंबर, 1985 1
जन्मस्थान : हरदोई (उ.प्र.)।
शिक्षा : हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट B.N.I.C. मल्लावाँ हरदोई, (उ.प्र.); स्नातक लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ; स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य) कानपुर विश्वविद्यालय; शिक्षा स्नातक कानपुर विश्वविद्यालय कानपुर; Master of Business Administration, Bundelkhand University Jhansi.
संप्रति : लगभग बारह वर्षों से भारत सरकार के महत्त्वाकांक्षी 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन' में कार्यरत। शुरू के तीन वर्ष ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक के पद पर सेवाएँ दीं। वर्तमान में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम में कुष्ठ रोग सहायक के पद पर कार्यरत। 4 वर्षों से लेखन कार्य में संलग्न। अमर उजाला काव्य मंच में ऑनलाइन कविताएँ प्रकाशित होती रहती हैं।
पुरस्कार : नीलम पब्लिकेशन के द्वारा प्रशस्ति-पत्र (कविता) के लिए। HS पब्लिकेशन के द्वारा प्रशस्ति-पत्र (लेखन) प्रतियोगिता के लिए।
मो. : 9935957237, 9305219483
इ-मेल : raiharivansh2021@gmail.com
जन्म : 2 नवंबर, 1985 1
जन्मस्थान : हरदोई (उ.प्र.)।
शिक्षा : हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट B.N.I.C. मल्लावाँ हरदोई, (उ.प्र.); स्नातक लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ; स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य) कानपुर विश्वविद्यालय; शिक्षा स्नातक कानपुर विश्वविद्यालय कानपुर; Master of Business Administration, Bundelkhand University Jhansi.
संप्रति : लगभग बारह वर्षों से भारत सरकार के महत्त्वाकांक्षी 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन' में कार्यरत। शुरू के तीन वर्ष ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक के पद पर सेवाएँ दीं। वर्तमान में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम में कुष्ठ रोग सहायक के पद पर कार्यरत। 4 वर्षों से लेखन कार्य में संलग्न। अमर उजाला काव्य मंच में ऑनलाइन कविताएँ प्रकाशित होती रहती हैं।
पुरस्कार : नीलम पब्लिकेशन के द्वारा प्रशस्ति-पत्र (कविता) के लिए। HS पब्लिकेशन के द्वारा प्रशस्ति-पत्र (लेखन) प्रतियोगिता के लिए।
मो. : 9935957237, 9305219483
इ-मेल : raiharivansh2021@gmail.com