Smare Nityam Hindi Translation of Odia Smare Nityam
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- ISBN13: 9789355623126
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Religion & Spirituality
बार-बार दोहराए जाते रहे और कानों में घुलते रहे पुराणों की महीयसी नारियों के चरित्र मानो मेरे चेतना पटल पर उकेर दिए गए हैं। उनके महनीय जीवन की विडंबनाएँ समाज को बार-बार झकझोरती रही हैं। ये पात्र निश्चित ही शक्तिशाली, धैर्यशील और दक्ष हैं, जबकि कैसे-कैसे दुर्योग, दुर्भाग्य का सामना उन्हें करना पड़ा है। उस समय के समाज ने किस रूप में स्वीकार किया होगा उन्हें? अपने जीवनकाल में भी कैसी सांत्वनाएँ मिली होंगी उन्हें? कैसी संभावनाओं के स्वप्न देखे होंगे उन्होंने ? क्या अदृष्ट के सम्मुख बार-बार न्याय की भीख माँगी होगी उन्होंने ? क्या साधारण नारी के, मनुष्य के जीवन-स्वप्न साकार हुए हैं? आगामी समय के विद्वानों ने उन्हें वर्गीकृत करने की चेष्टा की है। उनके जीवन को उदाहरणीय माना है।
उन्हें नित्य स्मरणीय की आख्या दी है और उनके स्मरण अर्थात् उनके जीवन को पापनाशक कहकर समझाया है। उन नारियों के जीवन को ध्यान से देखें तो यह प्रतीत होता है कि वे सभी घटनाचक्र, परिस्थितियों, अन्य मनुष्य या पुरुष के अन्याय की शिकार हुई थीं। परिस्थितियाँ कुछ दूसरी तरह की हुई होतीं तो शायद उनका जीवन इस तरह विडंबित न हुआ होता। वे मानसिक स्तर पर सबसे बड़े दुःख का बोझ उठाने को बाध्य हुईं। साधारण नारी का जीवन-यापन उनके भाग्य में नहीं था।
नारी अस्मिता और सम्मान को मुखर करने वाली भावपूर्ण, मर्मस्पर्शी, करुणामयी कहानियों का मनोरम संकलन ।
उन्हें नित्य स्मरणीय की आख्या दी है और उनके स्मरण अर्थात् उनके जीवन को पापनाशक कहकर समझाया है। उन नारियों के जीवन को ध्यान से देखें तो यह प्रतीत होता है कि वे सभी घटनाचक्र, परिस्थितियों, अन्य मनुष्य या पुरुष के अन्याय की शिकार हुई थीं। परिस्थितियाँ कुछ दूसरी तरह की हुई होतीं तो शायद उनका जीवन इस तरह विडंबित न हुआ होता। वे मानसिक स्तर पर सबसे बड़े दुःख का बोझ उठाने को बाध्य हुईं। साधारण नारी का जीवन-यापन उनके भाग्य में नहीं था।
नारी अस्मिता और सम्मान को मुखर करने वाली भावपूर्ण, मर्मस्पर्शी, करुणामयी कहानियों का मनोरम संकलन ।
ओड़िआ और अंग्रेजी की सशक्त कथाकार एवं कवयित्री पारमिता शतपथी को उनके कहानी संग्रह 'प्राप्ति' के लिए वर्ष 2016 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सन् 1965 में जनमी पारमिता ने बहुत कम उम्र से ही लेखन की शुरुआत कर दी थी। ओड़िआ, हिंदी, पंजाबी, अंग्रेजी और बांग्ला में कहानी, उपन्यास एवं कविता की अब तक 25 पुस्तकें प्रकाशित हैं। अनुवाद के जरिए इनकी रचनाएँ विभिन्न भाषाओं में देश-विदेश की अनेक पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
केंद्रीय साहित्य अकादेमी पुरस्कार, सारला पुरस्कार के अलावा ओड़िशा साहित्य अकादेमी पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित ।
सन् 1989 से भारतीय राजस्व सेवा से संबद्ध । मुख्य आयकर आयुक्त के पद पर नई दिल्ली में कार्यरत ।
संपर्क : paramita_345@yahoo.co.in
केंद्रीय साहित्य अकादेमी पुरस्कार, सारला पुरस्कार के अलावा ओड़िशा साहित्य अकादेमी पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित ।
सन् 1989 से भारतीय राजस्व सेवा से संबद्ध । मुख्य आयकर आयुक्त के पद पर नई दिल्ली में कार्यरत ।
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