Sindhi Swad
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- ISBN13: 9788199335622
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Encyclopedias
एक सिंधी माँ की रसोई की किताब, किसी भी अन्य माँ द्वारा किए गए कार्य की तरह प्रेम का श्रम है। यह एक सिंधी रसोई से विशिष्ट व्यंजनों का एक अद्भुत संकलन है, जो आधुनिक जीवन-शैली को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। अत्यंत स्पष्टता और आसान निर्देशों के साथ लिखी गई यह पुस्तक उन लोगों के लिए है, जो प्राचीन व्यंजन से प्रामाणिक व्यंजन बनाने में हाथ आजमाने से हिचकिचाते हैं।
एक 'सिंधी माँ' ने जो अपनी दादी और माँ से सीखा, उसे ही अपने अनुभव से वर्तमान पीढ़ी को ध्यान में रखकर और आनेवाली पीढ़ियों को सिंधी भोजन की ये पाक-विधियाँ सहेजने के लिए संकलित किया है। बहुत बारीकी से आवश्यक सामग्री, उनके माप-तौल और फिर अत्यंत सरल-सुबोध शैली में व्यंजन बनाने की विधि किसी भी नई/नए पाकशास्त्री को प्रोत्साहित करेगी।
आइए ! सुस्वादु सिंधी भोजन बनाने की यात्रा में सहयात्री बनें और अत्यंत प्रेम, निष्ठा और समर्पण के साथ अपने परिजनों, मित्रों और संबंधियों के साथ आत्मीयता बढ़ाएँ।
एक 'सिंधी माँ' ने जो अपनी दादी और माँ से सीखा, उसे ही अपने अनुभव से वर्तमान पीढ़ी को ध्यान में रखकर और आनेवाली पीढ़ियों को सिंधी भोजन की ये पाक-विधियाँ सहेजने के लिए संकलित किया है। बहुत बारीकी से आवश्यक सामग्री, उनके माप-तौल और फिर अत्यंत सरल-सुबोध शैली में व्यंजन बनाने की विधि किसी भी नई/नए पाकशास्त्री को प्रोत्साहित करेगी।
आइए ! सुस्वादु सिंधी भोजन बनाने की यात्रा में सहयात्री बनें और अत्यंत प्रेम, निष्ठा और समर्पण के साथ अपने परिजनों, मित्रों और संबंधियों के साथ आत्मीयता बढ़ाएँ।
दुरु सचदेव एक गौरवान्वित पत्नी, माँ और दादी हैं, जिन्हें अपनी रसोई से प्यार है। वे दिल से भोजन की शक्ति में विश्वास करती हैं कि परिवार और उसके माध्यम से समाज में इसे कैसे तैयार किया जाता है, परोसा जाता है और खाया जाता है। उनका जन्म भीलवाड़ा, राजस्थान में एक सिंधी परिवार में हुआ था, जो विभाजन के दौरान सिंध के हैदराबाद से आकर बस गया था। दिल्ली में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद दुरु ने कुछ समय तक अध्यापन किया, लेकिन विवाह के कारण उनका यह कॅरियर बाधित हो गया।
सौभाग्य से, उनके सिंधी ससुराल वालों को भी दुरु जैसा ही भोजन का शौक था, और वह अपनी माँ से प्राप्त व्यंजनों के संग्रह में कुछ और व्यंजन शामिल कर पाईं। उन्होंने खाद्य-संरक्षण और बेकिंग के पाठ्यक्रमों के साथ खाना पकाने की अपनी समझ का भी विस्तार किया। इसके अलावा उन्होंने बुनियादी सिलाई के पाठ्यक्रम से लेकर पारंपरिक एवं प्राकृतिक रंगों वाले परिधानों के व्यवसाय में साझेदारी शुरू करके कपड़ों और डिजाइन के प्रति अपने प्रेम को बढ़ाया।
अपने मुख्य जुनून को आगे बढ़ाने का निर्णय लेने से पहले उन्होंने आठ वर्षों तक व्यवसाय के लिए कपड़े जुटाने हेतु देश भर की यात्रा की। आज 70 वर्ष से अधिक उम्र में भी उनकी ऊर्जा और जीवंतता कम नहीं हुई है-यह पुस्तक नए उद्यम शुरू करने की उनकी निरंतर इच्छा का प्रमाण है।
सौभाग्य से, उनके सिंधी ससुराल वालों को भी दुरु जैसा ही भोजन का शौक था, और वह अपनी माँ से प्राप्त व्यंजनों के संग्रह में कुछ और व्यंजन शामिल कर पाईं। उन्होंने खाद्य-संरक्षण और बेकिंग के पाठ्यक्रमों के साथ खाना पकाने की अपनी समझ का भी विस्तार किया। इसके अलावा उन्होंने बुनियादी सिलाई के पाठ्यक्रम से लेकर पारंपरिक एवं प्राकृतिक रंगों वाले परिधानों के व्यवसाय में साझेदारी शुरू करके कपड़ों और डिजाइन के प्रति अपने प्रेम को बढ़ाया।
अपने मुख्य जुनून को आगे बढ़ाने का निर्णय लेने से पहले उन्होंने आठ वर्षों तक व्यवसाय के लिए कपड़े जुटाने हेतु देश भर की यात्रा की। आज 70 वर्ष से अधिक उम्र में भी उनकी ऊर्जा और जीवंतता कम नहीं हुई है-यह पुस्तक नए उद्यम शुरू करने की उनकी निरंतर इच्छा का प्रमाण है।