Shri Ram Janmabhoomi Ki Shaurya Gatha
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- ISBN13: 9789349116108
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Religion & Spirituality
यह गाथा है प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या की। यह गाथा है श्रीरामजन्मभूमि के शौर्य की। । यह गाथा है, सनातन धर्म के वीरों की। यह गाथा है, लाखों सनातनियों के अमर बलिदान की।
इस ऐतिहासिक उपन्यास 'श्रीरामजन्मभूमि की शौर्य गाथा' में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर व अयोध्या के पूरे इतिहास व उससे जुड़ी पौराणिक-धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ इसके ऐतिहासिक और कानूनी लड़ाई के प्रत्येक पहलुओं को कुछ शब्दों में समेटने का प्रयास किया गया है। उपन्यास का प्रारंभ 5 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी द्वारा श्रीराममंदिर निर्माण के भूमि-पूजन करने से होता है।
भूमि-पूजन के इस पावन क्षण में अयोध्या को लाखों रामभक्तों का बलिदान स्मरण हो जाता है और वह उनके संघर्ष व बलिदानों को सजल नेत्रों से स्मरण करते हुए अपने अतीत में खो जाती हैं और इतिहास का एक-एक पन्ना पलटती हैं। प्रत्येक घटना एवं दृश्य उनके समक्ष जीवंत हो जाता है। इस प्रकार अयोध्या अपनी आत्मकथा के माध्यम से इस उपन्यास में श्रीरामजन्मभूमि के संघर्ष की शौर्य गाथा व अनेक रहस्योद्घाटन देशवासियों के समक्ष करती है।
इस ऐतिहासिक उपन्यास 'श्रीरामजन्मभूमि की शौर्य गाथा' में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर व अयोध्या के पूरे इतिहास व उससे जुड़ी पौराणिक-धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ इसके ऐतिहासिक और कानूनी लड़ाई के प्रत्येक पहलुओं को कुछ शब्दों में समेटने का प्रयास किया गया है। उपन्यास का प्रारंभ 5 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी द्वारा श्रीराममंदिर निर्माण के भूमि-पूजन करने से होता है।
भूमि-पूजन के इस पावन क्षण में अयोध्या को लाखों रामभक्तों का बलिदान स्मरण हो जाता है और वह उनके संघर्ष व बलिदानों को सजल नेत्रों से स्मरण करते हुए अपने अतीत में खो जाती हैं और इतिहास का एक-एक पन्ना पलटती हैं। प्रत्येक घटना एवं दृश्य उनके समक्ष जीवंत हो जाता है। इस प्रकार अयोध्या अपनी आत्मकथा के माध्यम से इस उपन्यास में श्रीरामजन्मभूमि के संघर्ष की शौर्य गाथा व अनेक रहस्योद्घाटन देशवासियों के समक्ष करती है।
एडवोकेट सरोज उपाध्याय ने छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर नगर से विधि स्नातक तथा राजनीति विज्ञान व हिंदी साहित्य से परास्नातक किया हुआ है। 24 वर्षों से लगातार कानपुर कोर्ट में वकालत कर रही हैं। लेखिका बचपन से ही अपने समाजसेवी पिताजी से प्रेरित होकर समाजसेवा करती रही हैं। मुखर वक्ता हैं, तेज-तर्रार अधिवक्ता हैं। जहाँ कहीं समाज में, सिस्टम में उन्हें अन्याय दिखा, उसके विरुद्ध सदैव लिखती, पढ़ती व लड़ती रही हैं। इसी भावना से प्रेरित होकर श्रीरामजन्मभूमि के संघर्ष व शौर्यगाथा पर लिखा यह उनका पहला उपन्यास है।