Shraddheya
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- ISBN13: 9789353220655
- Binding: Hardcover
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature
श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे भारतभूमि में मध्य प्रदेश के रत्नशीर्ष हैं। उनकी कुशाग्र मति और भ्रातृत्वशील स्वभाव सभी के लिए प्रेरणाशील रहा है। वे बाल्यकाल से ही आदर्श परिपालन के लिए उद्यत रहे और उत्कृष्ट बालसेवक के रूप में देश की सच्ची सेवा में रत हो गए। गुरु का एकल आह्वान और उनका संघ के लिए प्रचारण का आरंभ किया जाना प्रत्येक राष्ट्रवादी के लिए स्वयं प्रेरणा से कम नहीं है। अल्पकाल में ही उनका नाम श्रेष्ठ संघ-कार्यकर्ताओं में प्रगणित होना गर्व का विषय है। इसका प्रमाण है कि सन् 1956 में जैसे ही उनकी जन्मभूमि एक नवीन स्वतंत्र प्रदेश के रूप में उभरकर सामने आई तो वे मध्य प्रदेश के जनसंघ मोर्चे के संगठन मंत्री बने। कुशाभाऊ सर्वत्र सहज रहते थे। उन्होंने कारावास में भी इस प्रकार सहज पदार्पण किया, मानो वे स्वतंत्र भारत में भी आपातकाल की परतंत्रता का सहर्ष मौन विरोध कर रहे हों। उनकी यह सहिष्णुता एवं सहजता ही उनकी उदात्त छवि की प्रमुख आधारशिला थी।
प्रखर राष्ट्रभक्त, अप्रतिम संघनिष्ठ कार्यकर्ता, दूरद्रष्टा एवं कोटि-कोटि कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे के त्यागमय जीवन का विस्तृत वर्णन करती शब्दांजलि।
प्रखर राष्ट्रभक्त, अप्रतिम संघनिष्ठ कार्यकर्ता, दूरद्रष्टा एवं कोटि-कोटि कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे के त्यागमय जीवन का विस्तृत वर्णन करती शब्दांजलि।
भगवत शरण माथुर
13 अप्रैल, 1951 को ग्राम तलेन, जिला राजगढ़ (म.प्र.) में जनमे भगवत शरण माथुर 1975 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक निकले। सर्वश्री बाबासाहेब देवरस, के.सी. सुदर्शन, बाबासाहेब नातू, कुशाभाऊ ठाकरे, माखन सिंह जैसे मूर्धन्य व्यक्तित्वों के साथ कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अनेक जिलों में जिला प्रचारक रहे; मध्य प्रदेश के सह-संगठन मंत्री और हरियाणा के संगठन मंत्री रहे। आपातकाल के दौरान 19 माह जेल में रहे। अपनी समस्त पैतृक संपत्ति समाज सेवा हेतु समर्पित कर ‘श्री नर्मदेहर सेवा न्यास’ की स्थापना कर दी। न्यास द्वारा वनवासी क्षेत्रों में समाज सेवा के कई प्रकल्प निःशुल्क चलाए जा रहे हैं। संप्रति अनु. जाति/जनजाति मोर्चा एवं सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संगठक।
इ-मेल : bsmathur2008@gmail.com
सिद्धार्थ शंकर गौतम
02 फरवरी, 1986 को ललितपुर (उ.प्र.) में जनमे सिद्धार्थ शंकर गौतम की अब तक बारह पुस्तकें प्रकाशित होकर बहुचर्चित, जिनमें प्रमुख हैं—संघ : राष्ट्र भावना का जाग्रत् प्रहरी, कृतिरूप संघ दर्शन पुस्तक माला,सेवा संघस्य भूषणम्, वैचारिक द्वंद्व, सनातन संस्कृति का महापर्व : सिंहस्थ, ऋषितुल्य
पं. दीनदयाल उपाध्याय, मन की बात : सामाजिक चेतना का अग्रदूत, जिएँ तो ऐसे जिएँ। देश भर के समाचार-पत्रों/पत्रिकाओं में 750 से अधिक लेखों का प्रकाशन। संप्रति लेखन एवं पत्रकारिता।
दूरभाष : 9424038801
इ-मेल : vaichaariki@gmail.com
13 अप्रैल, 1951 को ग्राम तलेन, जिला राजगढ़ (म.प्र.) में जनमे भगवत शरण माथुर 1975 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक निकले। सर्वश्री बाबासाहेब देवरस, के.सी. सुदर्शन, बाबासाहेब नातू, कुशाभाऊ ठाकरे, माखन सिंह जैसे मूर्धन्य व्यक्तित्वों के साथ कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अनेक जिलों में जिला प्रचारक रहे; मध्य प्रदेश के सह-संगठन मंत्री और हरियाणा के संगठन मंत्री रहे। आपातकाल के दौरान 19 माह जेल में रहे। अपनी समस्त पैतृक संपत्ति समाज सेवा हेतु समर्पित कर ‘श्री नर्मदेहर सेवा न्यास’ की स्थापना कर दी। न्यास द्वारा वनवासी क्षेत्रों में समाज सेवा के कई प्रकल्प निःशुल्क चलाए जा रहे हैं। संप्रति अनु. जाति/जनजाति मोर्चा एवं सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संगठक।
इ-मेल : bsmathur2008@gmail.com
सिद्धार्थ शंकर गौतम
02 फरवरी, 1986 को ललितपुर (उ.प्र.) में जनमे सिद्धार्थ शंकर गौतम की अब तक बारह पुस्तकें प्रकाशित होकर बहुचर्चित, जिनमें प्रमुख हैं—संघ : राष्ट्र भावना का जाग्रत् प्रहरी, कृतिरूप संघ दर्शन पुस्तक माला,सेवा संघस्य भूषणम्, वैचारिक द्वंद्व, सनातन संस्कृति का महापर्व : सिंहस्थ, ऋषितुल्य
पं. दीनदयाल उपाध्याय, मन की बात : सामाजिक चेतना का अग्रदूत, जिएँ तो ऐसे जिएँ। देश भर के समाचार-पत्रों/पत्रिकाओं में 750 से अधिक लेखों का प्रकाशन। संप्रति लेखन एवं पत्रकारिता।
दूरभाष : 9424038801
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