Satyagraha: Water-Forest Conflict In Chhattisgarh
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- ISBN13: 9789355625274
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): History
छत्तीसगढ़ में जल और जंगल के संघर्ष का इतिहास सौ साल पुराना है। जल और जंगल के हुए सत्याग्रहों को हम स्वाधीनता संग्राम समझते हैं, क्योंकि उनमें भी उन्हीं सत्याग्रहियों की उपस्थिति या प्रेरणा या दोनों थी, जो देश की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे थे। जल और जंगल के संघर्ष में छत्तीसगढ़ ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दुःख इस बात का है कि इतिहास में उन घटनाओं का उल्लेख प्रायः प्रसंगवश ही किया जाता है।
ऐसा कर हम इन आदिवासी सत्याग्रहियों के बलिदानों की अनदेखी कर देते हैं। कंडेल नहर सत्याग्रह, नगरी, सिंहावा, नवापारातानवट तथा बदराटोला का जंगल सत्याग्रह ब्रिटिश प्रशासन के तुगलकी आदेशों का परिणाम थे। आदेशों के पालन के लिए जिस तरह अंग्रेजों के भारतीय कारिंदों ने जोरजबरदस्ती और अमानवीयता दिखाई, उससे संघर्ष को और अधिक बल मिला। स्वाधीनता के अमृतकाल में उन अचर्चित सेनानियों का स्मरण का यह समयोचित अवसर है, जिन्होंने न यश की कामना की थी और न जिन्हें वांछित सम्मान ही मिला। 'सत्याग्रह' में उन समस्त स्वतंत्रता सेनानियों का जीवन परिचय संगृहीत है, जिन्होंने जलजंगल के सत्याग्रहों में भाग लिया अथवा मार्गदर्शन किया। नई पीढ़ी इन हुतात्माओं के त्याग, संघर्ष, समर्पण और साहस से परिचित हो, इसी उद्देश्य से यह पुस्तक लिखी गई है।
ऐसा कर हम इन आदिवासी सत्याग्रहियों के बलिदानों की अनदेखी कर देते हैं। कंडेल नहर सत्याग्रह, नगरी, सिंहावा, नवापारातानवट तथा बदराटोला का जंगल सत्याग्रह ब्रिटिश प्रशासन के तुगलकी आदेशों का परिणाम थे। आदेशों के पालन के लिए जिस तरह अंग्रेजों के भारतीय कारिंदों ने जोरजबरदस्ती और अमानवीयता दिखाई, उससे संघर्ष को और अधिक बल मिला। स्वाधीनता के अमृतकाल में उन अचर्चित सेनानियों का स्मरण का यह समयोचित अवसर है, जिन्होंने न यश की कामना की थी और न जिन्हें वांछित सम्मान ही मिला। 'सत्याग्रह' में उन समस्त स्वतंत्रता सेनानियों का जीवन परिचय संगृहीत है, जिन्होंने जलजंगल के सत्याग्रहों में भाग लिया अथवा मार्गदर्शन किया। नई पीढ़ी इन हुतात्माओं के त्याग, संघर्ष, समर्पण और साहस से परिचित हो, इसी उद्देश्य से यह पुस्तक लिखी गई है।
आशीष सिंह
जन्म : 24.01.1963
शिक्षा : एम.ए., समाजशास्त्र, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति ।
1994 से पत्रकारिता। रायपुर के अमृत संदेश के प्रांतीय डेस्क से आरंभकर टी.वी. न्यूज चैनल वॉच न्यूज, दैनिक राष्ट्रीय हिंदी मेल, छत्तीसगढ़ वॉच, तरुण छत्तीसगढ़ और दैनंदिनी में संपादकीय दायित्व । विविध विषयों की दस महत्त्वपूर्ण पुस्तकें संपादित। पं. रामदयाल तिवारी, डॉ. खूबचंद बघेल तथा ठाकुर प्यारेलाल सिंह के व्यक्तित्व व कर्तृव्य पर पुस्तकें प्रकाशित ।
लेखन : जनादेश (19522014/छत्तीसगढ़ में हुए विधान सभा के चुनावों का लेखाजोखा), शक्ति (छत्तीसगढ़ की नारी शक्ति), महानायक (छत्तीसगढ़ के स्वाधीनता सेनानियों की जीवनी), हमर सुराजी (स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का हिंदी और अंग्रेजी में जीवन परिचय और छत्तीसगढ़ी में नाट्य रूपांतरण), बापू और छत्तीसगढ़, संस्कृति छत्तीसगढ़ की, अर्द्ध विराम, 1857 : सोनाखान, रायपुर, छत्तीसगढ़ में जंगल का संघर्ष : सत्याग्रह (हिंदी/अंग्रेजी में)।
संपर्क : सिन्हा भवन, कुशालपुर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 9340023363
इमेल: sinh.ashish24@gmail.com
जन्म : 24.01.1963
शिक्षा : एम.ए., समाजशास्त्र, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति ।
1994 से पत्रकारिता। रायपुर के अमृत संदेश के प्रांतीय डेस्क से आरंभकर टी.वी. न्यूज चैनल वॉच न्यूज, दैनिक राष्ट्रीय हिंदी मेल, छत्तीसगढ़ वॉच, तरुण छत्तीसगढ़ और दैनंदिनी में संपादकीय दायित्व । विविध विषयों की दस महत्त्वपूर्ण पुस्तकें संपादित। पं. रामदयाल तिवारी, डॉ. खूबचंद बघेल तथा ठाकुर प्यारेलाल सिंह के व्यक्तित्व व कर्तृव्य पर पुस्तकें प्रकाशित ।
लेखन : जनादेश (19522014/छत्तीसगढ़ में हुए विधान सभा के चुनावों का लेखाजोखा), शक्ति (छत्तीसगढ़ की नारी शक्ति), महानायक (छत्तीसगढ़ के स्वाधीनता सेनानियों की जीवनी), हमर सुराजी (स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का हिंदी और अंग्रेजी में जीवन परिचय और छत्तीसगढ़ी में नाट्य रूपांतरण), बापू और छत्तीसगढ़, संस्कृति छत्तीसगढ़ की, अर्द्ध विराम, 1857 : सोनाखान, रायपुर, छत्तीसगढ़ में जंगल का संघर्ष : सत्याग्रह (हिंदी/अंग्रेजी में)।
संपर्क : सिन्हा भवन, कुशालपुर, रायपुर (छ.ग.)
मो. 9340023363
इमेल: sinh.ashish24@gmail.com