Satta Ke Galiyaron Se
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- ISBN13: 9789355620286
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Political Science
प्रत्येक युग में राष्ट्र का सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कुलीन अपनी शक्ति एवं प्रतिष्ठा को संरक्षित करते हुए अपने इस महान् विचार के प्रतिपादन द्वारा कि वह उसका प्रभुत्व सुनिश्चित करने तथा उसे कार्यान्वित करने में सक्षम है, परिवर्तन को नियंत्रित करने का प्रयास करता है। ब्रिटिश साम्राज्य का संचालन उसी सिद्धांत के आधार पर किया गया था।
अपने विचारों को प्रधानता के बल पर अजनबियों की एक छोटी सी संख्या ने इतने बड़े साम्राज्य का संचालन किया, जिसे बहुसंख्यकों ने स्वीकार किया। स्वाधीनता- प्राप्ति के पश्चात् गणतंत्र के निर्माताओं ने एक संविधान लिखा, जिसने राष्ट्र को सत्ता के कुलीनों को आर्थिक विशेषाधिकार के पदों पर बने रहने हेतु समर्थ बनाया, जबकि संविधान में सभी को समान स्तर प्रदान किया गया था।
लोकतंत्र, समानता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता के विचार नए थे और समय के साथ उनका तालमेल भी था; परंतु उनका कार्यान्वयन इस प्रकार से हुआ, मानो वह सत्ता एवं विशेषाधिकारों के मौजूदा संबंधों को संरक्षित करनेवाला हो।
--इसी पुस्तक से भारतवर्ष में सत्ता, उसके प्रभाव, उसके सरोकार, उसके दुरुपयोग और समाज पर उसके प्रभावों का एक व्यावहारिक चिंतन प्रस्तुत करती है यह विचारप्रधान पुस्तक.
अपने विचारों को प्रधानता के बल पर अजनबियों की एक छोटी सी संख्या ने इतने बड़े साम्राज्य का संचालन किया, जिसे बहुसंख्यकों ने स्वीकार किया। स्वाधीनता- प्राप्ति के पश्चात् गणतंत्र के निर्माताओं ने एक संविधान लिखा, जिसने राष्ट्र को सत्ता के कुलीनों को आर्थिक विशेषाधिकार के पदों पर बने रहने हेतु समर्थ बनाया, जबकि संविधान में सभी को समान स्तर प्रदान किया गया था।
लोकतंत्र, समानता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता के विचार नए थे और समय के साथ उनका तालमेल भी था; परंतु उनका कार्यान्वयन इस प्रकार से हुआ, मानो वह सत्ता एवं विशेषाधिकारों के मौजूदा संबंधों को संरक्षित करनेवाला हो।
--इसी पुस्तक से भारतवर्ष में सत्ता, उसके प्रभाव, उसके सरोकार, उसके दुरुपयोग और समाज पर उसके प्रभावों का एक व्यावहारिक चिंतन प्रस्तुत करती है यह विचारप्रधान पुस्तक.
संजय बारू एक नीति विश्लेषक, लेखक एवं स्तंभकार हैं । उन्होंने 'इकोनॉमिक टाइम्स', 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस! एवं 'बिजनेस स्टेंडर्ड' के संपादक के रूप में तथा टाइम्स ऑफ इंडिया' एवं “इंडियन एक्सप्रेस ' के संपादकीय पृष्ठ के संपादक के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं।
वे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार तथा लंदन के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटेजिक स्टडीज के भू- अर्थशास्त्र एवं रणनीति के निदेशक भी रहे। उन्होंने हैदराबाद विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, ली कुआन जन नीति यिवु विद्यालय, सिंगापुर एवं भारतीय जन नीति विद्यालय, नई दिल्ली में अध्यापन भी किया।
उनकी पुस्तकों में 'दि एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर : द मेकिंग ऐंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह 'स्ट्रेटेजिक कॉन्सिक्वेंसेन ऑफ इंडियाज इकोनॉमिक परफॉर्मेंस” तथा “1991 : हाउ पी.वी. नरसिम्हा राव मेड हिस्टरी ' प्रमुख हैं।
वे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार तथा लंदन के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटेजिक स्टडीज के भू- अर्थशास्त्र एवं रणनीति के निदेशक भी रहे। उन्होंने हैदराबाद विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, ली कुआन जन नीति यिवु विद्यालय, सिंगापुर एवं भारतीय जन नीति विद्यालय, नई दिल्ली में अध्यापन भी किया।
उनकी पुस्तकों में 'दि एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर : द मेकिंग ऐंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह 'स्ट्रेटेजिक कॉन्सिक्वेंसेन ऑफ इंडियाज इकोनॉमिक परफॉर्मेंस” तथा “1991 : हाउ पी.वी. नरसिम्हा राव मेड हिस्टरी ' प्रमुख हैं।