Sansad mein Vikas Ki Baaten
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- ISBN13: 9789353220990
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Political Science
श्री नीतीश कुमार भारतीय राजनीति के उन विरले लोगों में शामिल हैं, जिनकी राजनीति सत्ता के निष्ठुर धरातल से बहुत दूर मानवीय जीवन की संवेदनाओं पर टिकी है। हृदय से निकली उनकी बातें मौलिक और दूरगामी चिंतन से ओत-प्रोत होती हैं। उनकी स्वाभाविक शैली उन्हें Politician से अलग एक Statesman की श्रेणी में शुमार करती है।
शराब को दैनिक जीवन का हिस्सा बना चुके लोगों के शराब पीने, शराब बनाने और बेचने पर पाबंदी लगाकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अंधी सुरंग में समाई जिंदगी को नया बिहान दिया, नई रोशनी दी।
इस संकलन का उद्देश्य यह प्रकाश में लाना है कि आज के परिवेश में एक नेता अपने संसदीय काल के विमर्शों में जिन विषयों को उठाता है, शासन से माँग करता है, शासन के प्रतिनिधि के रूप में आश्वस्त करता है, और जब वह स्वयं शासन का सूत्रधार बनता है, तब उन विषयों का समाधान करने में कैसे जुट जाता है।
संसदीय राजनीति के इस पक्ष से नई पीढ़ी को अवगत कराना और उसे प्रेरित करना कि राजनीति सर्वदा एक Positive Aspect है, उसका काम हर क्षेत्र में सकारात्मकता को मजबूत करना और विध्वंसक तथा नकारात्मक प्रकृतियों को जड़ से नष्ट करना है। इस पूरे परिप्रेक्ष्य में नीतीश कुमार जैसे राजनेता को समझने में यह वादवृत्त कितना लाभकर होगा, यह अध्येता तय करेंगे, पर इतना तो तय है कि कथनी-करनी में एक होने के प्रमाण की आवश्यकता होगी तो भारतीय राजनीति के मूर्धन्य राजनेताओं में नीतीश कुमार की भी गणना होगी।
शराब को दैनिक जीवन का हिस्सा बना चुके लोगों के शराब पीने, शराब बनाने और बेचने पर पाबंदी लगाकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अंधी सुरंग में समाई जिंदगी को नया बिहान दिया, नई रोशनी दी।
इस संकलन का उद्देश्य यह प्रकाश में लाना है कि आज के परिवेश में एक नेता अपने संसदीय काल के विमर्शों में जिन विषयों को उठाता है, शासन से माँग करता है, शासन के प्रतिनिधि के रूप में आश्वस्त करता है, और जब वह स्वयं शासन का सूत्रधार बनता है, तब उन विषयों का समाधान करने में कैसे जुट जाता है।
संसदीय राजनीति के इस पक्ष से नई पीढ़ी को अवगत कराना और उसे प्रेरित करना कि राजनीति सर्वदा एक Positive Aspect है, उसका काम हर क्षेत्र में सकारात्मकता को मजबूत करना और विध्वंसक तथा नकारात्मक प्रकृतियों को जड़ से नष्ट करना है। इस पूरे परिप्रेक्ष्य में नीतीश कुमार जैसे राजनेता को समझने में यह वादवृत्त कितना लाभकर होगा, यह अध्येता तय करेंगे, पर इतना तो तय है कि कथनी-करनी में एक होने के प्रमाण की आवश्यकता होगी तो भारतीय राजनीति के मूर्धन्य राजनेताओं में नीतीश कुमार की भी गणना होगी।
नरेन्द्र पाठक
जन्म : फरवरी 1965, बक्सर के कुसुरुपा गाँव में; स्व. चंद्रतारा देवी एवं श्री पारस नाथ पाठक की चौथी संतान।
सहधर्मिणी : पूनम कुमारी (पूर्व आप्त सचिव, अध्यक्ष, बिहार विधानसभा)।
शिक्षा : कर्पूरी ठाकुर की राजनीति पर शोध उपाधि, बी.एच.यू. वाराणसी।
राजनीतिक गतिविधि :
• 1981 में एम.वी. कॉलेज, बक्सर, छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा।
• 1994 से 2007 तक समाजवादी पार्टी के प्रांतीय महासचिव के रूप में शाहाबाद क्षेत्र में संगठन का काम।
• किशन पटनायक के साथ डंकल प्रस्ताव का विरोध।
• 24 जनवरी, 2008 को ज.द. (यू) की सदस्यता ली।
प्रकाशन : कर्पूरी ठाकुर और समाजवाद (सन् 2008); विकसित बिहार की खोज (मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के अभिभाषण) (सन् 2010)।
संप्रति :
• जनता दल (यू) केसक्रिय सदस्य।
• लोकसभा फेलोशिप के अंतर्गत संसद् की अस्थिरता का अध्ययन।
मो. : 9430951565
जन्म : फरवरी 1965, बक्सर के कुसुरुपा गाँव में; स्व. चंद्रतारा देवी एवं श्री पारस नाथ पाठक की चौथी संतान।
सहधर्मिणी : पूनम कुमारी (पूर्व आप्त सचिव, अध्यक्ष, बिहार विधानसभा)।
शिक्षा : कर्पूरी ठाकुर की राजनीति पर शोध उपाधि, बी.एच.यू. वाराणसी।
राजनीतिक गतिविधि :
• 1981 में एम.वी. कॉलेज, बक्सर, छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा।
• 1994 से 2007 तक समाजवादी पार्टी के प्रांतीय महासचिव के रूप में शाहाबाद क्षेत्र में संगठन का काम।
• किशन पटनायक के साथ डंकल प्रस्ताव का विरोध।
• 24 जनवरी, 2008 को ज.द. (यू) की सदस्यता ली।
प्रकाशन : कर्पूरी ठाकुर और समाजवाद (सन् 2008); विकसित बिहार की खोज (मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के अभिभाषण) (सन् 2010)।
संप्रति :
• जनता दल (यू) केसक्रिय सदस्य।
• लोकसभा फेलोशिप के अंतर्गत संसद् की अस्थिरता का अध्ययन।
मो. : 9430951565