Sannyasi Novel | Train Your Mind To Find Peace And Purpose of Life | Think Like A Monk Book In Hindi
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- ISBN13: 9789349116429
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Novel
निवृत्तिपरक भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा और महत्त्वपूर्ण तत्त्व संन्यासी ही है। बिना संन्यास और संन्यासी को समझे भारतीय संस्कृति को समझने का कोई भी प्रयास व्यर्थ है। आधुनिक विद्वानों ने कुछ ऐसा वातावरण बना दिया कि, भगवा उसका बाह्य स्वरूप, ही संन्यास और संन्यासी का एकमात्र परिचय रह गया है। किसी भी संस्था की विवेचना करते हुए अगर हमारे संदर्भ बिंदु केवल हम क्या चाहते, समझते और देखते हैं, यही रहते हैं तो ऐसी विवेचना का कोई मूल्य नहीं है।
संन्यासी किस प्रेरणा से गेरुआ धारण करते हैं, उनका क्या लक्ष्य होता है, उनके लक्ष्य के पीछे क्या दर्शन होता है, लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वह क्या प्रयास करते हैं और शेष समाज के प्रति वह क्या भाव रखते हैं- यह सब उपेक्षित रह जाएगा। इस पुस्तक में एक साधारण भारतीय की दृष्टि से संन्यासी और संन्यास नाम की संस्था को देखने का विनम्र प्रयास है। इसमें लेखिका ने यह जानने का प्रयास किया है कि एक संन्यासी के जीवन में बाह्य स्वरूप से इतर और क्या होता है।
संन्यासी किस प्रेरणा से गेरुआ धारण करते हैं, उनका क्या लक्ष्य होता है, उनके लक्ष्य के पीछे क्या दर्शन होता है, लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वह क्या प्रयास करते हैं और शेष समाज के प्रति वह क्या भाव रखते हैं- यह सब उपेक्षित रह जाएगा। इस पुस्तक में एक साधारण भारतीय की दृष्टि से संन्यासी और संन्यास नाम की संस्था को देखने का विनम्र प्रयास है। इसमें लेखिका ने यह जानने का प्रयास किया है कि एक संन्यासी के जीवन में बाह्य स्वरूप से इतर और क्या होता है।
डॉ. चित्रा अवस्थी उन चुनिंदा भारत विद्याशास्त्रियों में से एक हैं, जिन्होंने भारतीय समाज के शास्त्रीय और लौकिक आधारों का अध्ययन सम्यक् रूप से किया है। उन्होंने अपनी पुस्तकों, लेखों और भाषणों के माध्यम से समाजशास्त्र, दर्शन और शिक्षा के तमाम पक्षों को उजागर किया है। आधुनिक भाषाओं के साथ संस्कृत के गहन ज्ञान के कारण उनमें प्राचीन भारतीय दर्शन को समझने की विशेष योग्यता है।
इसके साथ ही उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर लगातार अनेकानेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों/ सेमिनारों की सहभागिता एवं अध्यक्षता की है। कानपुर विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक प्राप्त कर उन्होंने स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की, तब से लगातार लेखन और शिक्षण-प्रशिक्षण के कार्य में संलग्न हैं। इसके अलावा डॉ. अवस्थी अपने सामाजिक कार्यों, खासतौर से स्किल एजुकेशन से जुड़े विषय और शरणार्थियों की पुनर्स्थापना के लिए जानी जाती हैं। वर्तमान समय में वे 'ऋत् फाउंडेशन' की अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएँ दे रही हैं।
इसके साथ ही उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर लगातार अनेकानेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों/ सेमिनारों की सहभागिता एवं अध्यक्षता की है। कानपुर विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक प्राप्त कर उन्होंने स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की, तब से लगातार लेखन और शिक्षण-प्रशिक्षण के कार्य में संलग्न हैं। इसके अलावा डॉ. अवस्थी अपने सामाजिक कार्यों, खासतौर से स्किल एजुकेशन से जुड़े विषय और शरणार्थियों की पुनर्स्थापना के लिए जानी जाती हैं। वर्तमान समय में वे 'ऋत् फाउंडेशन' की अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएँ दे रही हैं।