Sangharsh, Sangathan, Sewa | Compilation Speeches of Lok Sabha MP And Former Union Minister Shri Radha Mohan Singh
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- ISBN13: 9789355627735
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Biography
यह पुस्तक 'संघर्ष संगठन सेवा' लोकसभा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री राधा मोहन सिंह द्वारा संसद व बिहार भाजपा प्रमुख रहते हुए दिए गए भाषणों का संकलन है।
1990 का प्राइवेट मेंबर युवा विधेयक, 1997 का आजादी के स्वर्ण जयंती पर भाषण के अलावा इसमें देश के अनेक हिस्सों में कृषि से जुड़े मुद्दों, समस्याओं, समाधानों के प्रयास पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया है। सूखा, न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर उनका स्पष्ट पक्ष इसमें उल्लिखित है। केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2016 के अतिरिक्त सामान्य बजट, रेल बजट एवं रेल मंत्रालय संबंधी अनुदान माँगों पर उनका वक्तव्य है।
2014 में जब देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी द्वारा उन्हें कृषि, सहकारिता एवं पशुपालन विभाग में कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया तो उनके अंदर की जिजीविषा से न केवल चंपारणवासियों के लिए, अपितु संपूर्ण राष्ट्र के लिए हृदय से जो उद्गार निकले, उन्हें उन्होंने संसद में अपने वक्तव्य के रूप में सबके समक्ष रखने की कोशिश की।
एक समर्पित कार्यकर्ता, समाजधर्मी व राजनीतिज्ञ श्री राधा मोहन सिंह के प्रखर विचार, ओजस्वी वक्तृत्व और समाजदृष्टि का दिग्दर्शन करवाती है यह पुस्तक 'संघर्ष" संगठन सेवा'।
1990 का प्राइवेट मेंबर युवा विधेयक, 1997 का आजादी के स्वर्ण जयंती पर भाषण के अलावा इसमें देश के अनेक हिस्सों में कृषि से जुड़े मुद्दों, समस्याओं, समाधानों के प्रयास पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया है। सूखा, न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर उनका स्पष्ट पक्ष इसमें उल्लिखित है। केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2016 के अतिरिक्त सामान्य बजट, रेल बजट एवं रेल मंत्रालय संबंधी अनुदान माँगों पर उनका वक्तव्य है।
2014 में जब देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी द्वारा उन्हें कृषि, सहकारिता एवं पशुपालन विभाग में कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया तो उनके अंदर की जिजीविषा से न केवल चंपारणवासियों के लिए, अपितु संपूर्ण राष्ट्र के लिए हृदय से जो उद्गार निकले, उन्हें उन्होंने संसद में अपने वक्तव्य के रूप में सबके समक्ष रखने की कोशिश की।
एक समर्पित कार्यकर्ता, समाजधर्मी व राजनीतिज्ञ श्री राधा मोहन सिंह के प्रखर विचार, ओजस्वी वक्तृत्व और समाजदृष्टि का दिग्दर्शन करवाती है यह पुस्तक 'संघर्ष" संगठन सेवा'।
श्री राधा मोहन सिंह का जन्म 1 सितंबर, 1949 को बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के नरहा में हुआ था। बाल्यकाल में ही दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा से सेवा का संस्कार पाकर उन्होंने देश और समाज की सेवा का संकल्प लिया।
किशोर-वय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) के कार्यकर्ता बनकर राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की संकल्पना को व्यापक रूप से समझा और इसे साकार करने का ध्येय लेकर छात्र-राजनीति में पदार्पण किया। तदुपरांत जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता तथा नेतृत्वकर्ता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है और राष्ट्रीय राजनीति के पटल पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी। सन् 1980 में भाजपा की संस्थापना के पश्चात् पार्टी को विस्तार देने और सुदृढ़ करने में लग गए। बिहार भाजपा के प्रदेश रहे; भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे।
सफल कृषि मंत्री के रूप में श्री राधा मोहन सिंह टिकाऊ और आधुनिक कृषि पद्धतियों के प्रबल समर्थक रहे। उन्होंने एक ऐसे भविष्य की कल्पना की, जहाँ भारतीय कृषि फल-फूल सके, जहाँ किसानों की मेहनत को उचित सम्मान मिले और जहाँ किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान नवीन उपायों के माध्यम से किया जा सके।
किशोर-वय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) के कार्यकर्ता बनकर राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की संकल्पना को व्यापक रूप से समझा और इसे साकार करने का ध्येय लेकर छात्र-राजनीति में पदार्पण किया। तदुपरांत जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता तथा नेतृत्वकर्ता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है और राष्ट्रीय राजनीति के पटल पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी। सन् 1980 में भाजपा की संस्थापना के पश्चात् पार्टी को विस्तार देने और सुदृढ़ करने में लग गए। बिहार भाजपा के प्रदेश रहे; भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे।
सफल कृषि मंत्री के रूप में श्री राधा मोहन सिंह टिकाऊ और आधुनिक कृषि पद्धतियों के प्रबल समर्थक रहे। उन्होंने एक ऐसे भविष्य की कल्पना की, जहाँ भारतीय कृषि फल-फूल सके, जहाँ किसानों की मेहनत को उचित सम्मान मिले और जहाँ किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान नवीन उपायों के माध्यम से किया जा सके।