Sangh Shatak | Rashtriya Swayamsevak Sangh Book in Hindi
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- ISBN13: 9789386870995
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Political Science
स्वयंसेवक की अवधारणा मूल रूप से समाज के प्रति जिम्मेदारी और कर्तव्य की भावना है, जो शिक्षा से लेकर श्रम और राजनीति जैसे क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। सबकुछ राष्ट्रीय चिंतन के आधार पर पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए।
आगामी वर्षों में पंच-परिवर्तन, यानी पाँच-स्तरीय कार्यक्रम का आह्वान संघ कार्य का केंद्र बना रहेगा। शाखाओं का विस्तार करते हुए संघ ने नागरिक कर्तव्यों, पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली, सामाजिक समरसता, पारिवारिक मूल्यों और 'स्व' बोध पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे हर व्यक्ति मातृभूमि को परम वैभव के शिखर पर ले जाने में योगदान दे सके।
पिछले सौ वर्षों में संघ ने राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के आंदोलन के रूप में उपेक्षा व उपहास से जिज्ञासा और स्वीकार्यता की यात्रा पूर्ण की है। संघ किसी का विरोध करने में विश्वास नहीं रखता। हमें विश्वास है कि संघ कार्य का विरोध करने वाला व्यक्ति भी एक दिन राष्ट्र-निर्माण के इस पुनीत कार्य में संघ के साथ सहभागी होगा।
आगामी वर्षों में पंच-परिवर्तन, यानी पाँच-स्तरीय कार्यक्रम का आह्वान संघ कार्य का केंद्र बना रहेगा। शाखाओं का विस्तार करते हुए संघ ने नागरिक कर्तव्यों, पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली, सामाजिक समरसता, पारिवारिक मूल्यों और 'स्व' बोध पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे हर व्यक्ति मातृभूमि को परम वैभव के शिखर पर ले जाने में योगदान दे सके।
पिछले सौ वर्षों में संघ ने राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के आंदोलन के रूप में उपेक्षा व उपहास से जिज्ञासा और स्वीकार्यता की यात्रा पूर्ण की है। संघ किसी का विरोध करने में विश्वास नहीं रखता। हमें विश्वास है कि संघ कार्य का विरोध करने वाला व्यक्ति भी एक दिन राष्ट्र-निर्माण के इस पुनीत कार्य में संघ के साथ सहभागी होगा।
प्रदीप शर्मा
जन्म : ग्राम-पचरुखिया, पोस्ट-शंकर पटखौली, जनपद-कुशीनगर (उ.प्र.)।
शिक्षा : बी.ए., एम.ए. (अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र), बी.एड., एम.एड., परास्नातक मास्टर ऑफ जर्नलिज्म, ह्यूमन राइट्स एवं कानून में स्नातक । पेशे से अधिवक्ता।
कृतित्व : समाज में सांस्कृतिक, सामाजिक परिवर्तन एवं राष्ट्र-निर्माण की उत्कट आकांक्षा लिए विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों से जुड़े रहे। वर्तमान में सामाजिक व सांस्कृतिक संगठन स्वामी विवेकानंद जनसेवा संस्थान के राष्ट्रीय संयोजक हैं। देश के ज्वलंत मुद्दों पर सोशल प्लेटफॉर्म पर अपने विचार रखते हैं। विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक विषयों पर लेखन निरंतर जारी ।
जन्म : ग्राम-पचरुखिया, पोस्ट-शंकर पटखौली, जनपद-कुशीनगर (उ.प्र.)।
शिक्षा : बी.ए., एम.ए. (अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र), बी.एड., एम.एड., परास्नातक मास्टर ऑफ जर्नलिज्म, ह्यूमन राइट्स एवं कानून में स्नातक । पेशे से अधिवक्ता।
कृतित्व : समाज में सांस्कृतिक, सामाजिक परिवर्तन एवं राष्ट्र-निर्माण की उत्कट आकांक्षा लिए विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों से जुड़े रहे। वर्तमान में सामाजिक व सांस्कृतिक संगठन स्वामी विवेकानंद जनसेवा संस्थान के राष्ट्रीय संयोजक हैं। देश के ज्वलंत मुद्दों पर सोशल प्लेटफॉर्म पर अपने विचार रखते हैं। विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक विषयों पर लेखन निरंतर जारी ।