Sanatan Utsav Ka Desh
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- ISBN13: 9789392573552
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Religion & Spirituality
भारतवर्ष की आत्मा उसकी धर्म और संस्कृति में बसती है। बिना इसके राष्ट्र-जीवन को कोई कल्पना नहीं है। राष्ट्र-जीवन का प्राण तीर्थ, पर्व, ऋतु राग, उत्सव में बसता है। तीर्थ देश का लघु रूप है तो पर्व काल का प्रवाह है। ऋतु राग है, तो उत्सव उस राग का रस है। सूर्य का आगमन भगवान् विष्णु का पहला चरण है, तो दोपहर दूसरा और सांध्यवेला तीसरा पग है।
यहाँ नदियाँ माता का आशीष हैं तो पहाड़ पिता का पुण्य है। हमारे पूर्वजों ने देश की दुर्गम और अलंघ्य पर्वत-श्रृंखलाओं में तीर्थयात्राओं के लिए कई स्थलों को जाग्रत् एवं तपस्थल का रूप दिया। भगवान् राम राज्याभिषेक के पूर्व तीर्थाटन करते हैं तो पांडव भी तीर्थयात्रा करते हैं। जीवन में सनातन की खोज ही भारतीय का लक्ष्य रहा और सनातन के तत्त्वों को तीर्थ, पर्व, उत्सव, और यात्राओं ने प्रगाढ़ किया है।
सनातन संस्कृति और परंपराओं का दिग्दर्शन करवाती ज्ञानवर्धक पठनीय पुस्तक ।
यहाँ नदियाँ माता का आशीष हैं तो पहाड़ पिता का पुण्य है। हमारे पूर्वजों ने देश की दुर्गम और अलंघ्य पर्वत-श्रृंखलाओं में तीर्थयात्राओं के लिए कई स्थलों को जाग्रत् एवं तपस्थल का रूप दिया। भगवान् राम राज्याभिषेक के पूर्व तीर्थाटन करते हैं तो पांडव भी तीर्थयात्रा करते हैं। जीवन में सनातन की खोज ही भारतीय का लक्ष्य रहा और सनातन के तत्त्वों को तीर्थ, पर्व, उत्सव, और यात्राओं ने प्रगाढ़ किया है।
सनातन संस्कृति और परंपराओं का दिग्दर्शन करवाती ज्ञानवर्धक पठनीय पुस्तक ।
डॉ. मयंक मुरारी आधुनिक समय में भारतीय समाज तथा जीवन, इतिहास, परंपरा और दर्शन विषय पर लिखते हैं। अपने 30 सालों के सार्वजनिक जीवन में अखबारों एवं पत्रिकाओं में अब तक 700 से अधिक आलेख और पंद्रह से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं, जिनमें मानववाद एवं राजव्यवस्था, राजनीति एवं प्रशासन, भारत-एक सनातन राष्ट्र, माई-एक जीवनी, झारखंड के अनजाने खेल, झारखंड की लोक कथाएँ, लोक जीवन (पहचान, परंपरा और प्रतिमान), यात्रा बीच ठहरे कदम (काव्य संग्रह-ओ जीवन के शाश्वत साथी), पुरोषत्तम की पदयात्रा, अच्छाई की खोज, भगवा ध्वज, जंबूद्वीपे- भरतखंडे आदि प्रमुख हैं।
उनके कार्यों के लिए उन्हें विद्यावाचस्पति, झारखंड गौरव सम्मान, सिद्धनाथ कुमार स्मृति सम्मान, झारखंड रत्न, जयशंकर प्रसाद स्मृति सम्मान, साहित्य अकादमी रामदयाल मुंडा कथेतर सम्मान से सम्मानित किया गया है। व्यक्तित्व विकास, अध्यात्म और भारतीय दर्शन पर आधारित आलेख देश के समाचार पत्रों में नियमित प्रकाशित होते हैं।
मो.: 9934320630/9308270103
इ-मेल : murari.mayank@gmail.com
उनके कार्यों के लिए उन्हें विद्यावाचस्पति, झारखंड गौरव सम्मान, सिद्धनाथ कुमार स्मृति सम्मान, झारखंड रत्न, जयशंकर प्रसाद स्मृति सम्मान, साहित्य अकादमी रामदयाल मुंडा कथेतर सम्मान से सम्मानित किया गया है। व्यक्तित्व विकास, अध्यात्म और भारतीय दर्शन पर आधारित आलेख देश के समाचार पत्रों में नियमित प्रकाशित होते हैं।
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