Samrasta Ke Unnayak

Samrasta Ke Unnayak

by Dr. Rahul

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  • ISBN13: 9789348402752
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature
सामाजिक समरसता एक विस्तृत विचार है। इस सोच के साथ भावनात्मकता भी जुड़ी हुई है। समरस हो जाना, यानी एकरूप हो जाना-न कोई छोटा, न कोई बड़ा।

समाज को जोड़ने का काम साहित्य बखूबी करता है। इस परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत पुस्तक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेखक ने पौराणिक कथाओं के माध्यम से जहाँ एक ओर समाज में अस्पृश्यता मिटाने, सद्भाव पैदा करने और जनमानस को जाग्रत् करने का प्रयास किया है, वहीं दूसरी ओर महापुरुषों के महान् अवदान और प्रेरक कथाओं के माध्यम से भी समाज में नई चेतना जगाने की पुरजोर कोशिश की है। ये प्रेरक कथाएँ जन-मन में जागरूकता बढ़ाने और भेदभाव मिटाने की दिशा में बड़ी असरदार हैं। व्यक्ति-से-व्यक्ति और समाज-से-समाज जोड़ने का काम संतों, मनीषियों, महापुरुषों की वाणियाँ और कथाएँ करती हैं, जिनकी संरचनात्मक सृष्टि इसमें आद्यंत हुई है।

पुस्तक की एक प्रमुख विशेषता यह भी है कि सामाजिक समरसता के महान् उन्नायकों में कबीर, तुलसीदास, रविदास, स्वामी श्रद्धानंद, स्वामी परमहंस, महर्षि अरविंद, महात्मा ज्योतिबा फुले, डॉ. भीमराव आंबेडकर, महात्मा गांधी, वीर सावरकर आदि की कार्य-शैली और समाज में अहम भूमिका निभाने वाले विशिष्ट संस्थानों की उपादेयता का भी उल्लेख किया गया है। यह पुस्तक समाज में मानसिक परिवर्तन के साथ सभी को एकसूत्र में पिरोने तथा सामाजिक समरसता मजबूत करने की नई दिशा-दृष्टि देगी- ऐसा विश्वास है।
डॉ. राहुल

हिंदी के अध्येता एवं मनस्वी साहित्यकार डॉ. राहुल की अब तक 75 कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं- उत्तर रामकथा पर केंद्रित 'युगांक' (प्रबंधकाव्य), महाभारत: मूलकथा (भाग-2), रामायण मूल्यांकन (खंड-3) और श्रीमद्भगवद्गीता मूलकथा (भाग-2) जैसे कालजयी ग्रंथों सहित एक दर्जन कविता-संग्रह; महासमर, संत्रास, सुभद्रा (उपन्यास), पंद्रह आलोचनात्मक पुस्तकें, राजभाषा संबंधी महत्त्वपूर्ण पुस्तकें तथा बाल- साहित्य प्रकाशित ।

शताधिक समीक्षाओं एवं स्तरीय कृतियों की भूमिका का लेखन। अनेक कविताएँ पंजाबी, मराठी, तमिल, आंग्ल-भाषा में अनूदित। इनकी रचनाओं पर आधारित 5 आलोचना कृतियाँ प्रकाशित हैं। इनके साहित्य पर विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा शोध- कार्य संपन्न। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ और हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत। आकाशवाणी दिल्ली केंद्र से वार्त्ताएँ प्रसारित ।

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