Sagar Ki Rochak Baaten
₹300.00
₹246.00
18% OFF
Ships in 1 - 2 Days
Secure Payment Methods at Checkout
- ISBN13: 9789387980020
- Binding: Hardcover
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Education
जब ईश्वर ने पृथ्वी बनाई तो उसके दो-तिहाई हिस्से को जल देकर भर दिया । हो सकता है, इसमें उसका कुछ उद्देश्य रहा हो; किंतु हम पृथ्वीवासियों के लिए यह बड़े फायदे की बात है । इतना अधिक जल धरती के बाकी सूखे टुकड़े को वातानुकूलित रखता है और हम पृथ्वी पर रहनेवाले जीवित प्राणी सूर्य की गरमी से नष्ट होने से बचे रहते हैं । इसके अलावा इतने बड़े जलाशय की आवश्यकता प्रकृति को स्वयं के आसवन उपकरण-सूर्य की सहायता से पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने के लिए थी ।
औसतन एक घन किलोमीटर समुद्री जल में लगभग चार करोड़ दस लाख टन नमक होता है । यह अनुमान लगाया गया है कि संपूर्ण जलमंडल में इतना नमक है, जो पूरे संसार को 150 मीटर मोटी नमक की परत से ढक सकता है ।
नमक के अलावा समुद्र में दूसरे खनिज भी होते हैं । एक घनमील समुद्र के पानी में पंद्रह करोड़ टन से ज्यादा खनिज होते हैं । उनमें से एक अत्यंत महत्वपूर्ण खनिज है 'आयोडीन' । दूसरा है ' ब्रोमीन ' । संसार- भर की ब्रोमीन का 9/10 हिस्सा समुद्र में ही होता है । ब्रोमीन का उपयोग फोटोग्राफी की प्लेटों और अनेक दवाओं में होता है । इसके अतिरिक्त सागर ओषधियों का भी भंडार है ।
सागर की ऐसी ही रोचक तथा वैज्ञानिक जानकारी के लिए प्रस्तुत है-' सागर की रोचक बातें ' ।
औसतन एक घन किलोमीटर समुद्री जल में लगभग चार करोड़ दस लाख टन नमक होता है । यह अनुमान लगाया गया है कि संपूर्ण जलमंडल में इतना नमक है, जो पूरे संसार को 150 मीटर मोटी नमक की परत से ढक सकता है ।
नमक के अलावा समुद्र में दूसरे खनिज भी होते हैं । एक घनमील समुद्र के पानी में पंद्रह करोड़ टन से ज्यादा खनिज होते हैं । उनमें से एक अत्यंत महत्वपूर्ण खनिज है 'आयोडीन' । दूसरा है ' ब्रोमीन ' । संसार- भर की ब्रोमीन का 9/10 हिस्सा समुद्र में ही होता है । ब्रोमीन का उपयोग फोटोग्राफी की प्लेटों और अनेक दवाओं में होता है । इसके अतिरिक्त सागर ओषधियों का भी भंडार है ।
सागर की ऐसी ही रोचक तथा वैज्ञानिक जानकारी के लिए प्रस्तुत है-' सागर की रोचक बातें ' ।
डॉ. शिवगोपाल मिश्र
13 सितंबर, 1931 को जनमे डॉ. शिवगोपाल मिश्र विज्ञान जगत् के ख्याति-प्राप्त लेखक हैं । आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.एस-सी. (कृषि रसायन) तथा डी. फिल. की उपाधियाँ प्राप्त कीं । आपकी कई पुस्तकें एवं अनेकानेक शोधपरक निबंध प्रकाशित हुए हैं । प्रारंभ से ही हिंदी में रुचि होने के कारण 1952 से आप विज्ञान परिषद् प्रयाग से संबद्ध रहे हैं । आपने कई वर्षों तक मासिक पत्रिका ' विज्ञान ' का संपादन किया है ।
आपकी हिंदी सेवाओं के लिए 1993 में आपको ' डॉ. आत्माराम पुरस्कार ' से तथा 1996 में ' विज्ञान भूषण ' एवं 1997 में ' विज्ञान मार्तंड ' सम्मान से विभूषित किया गया ।
डॉ. दिनेश मणि
आपका जन्म 15 जून, 1965 को हुआ था । आपने इलाहाबाद विश्व - विद्यालय से एम.एस-सी. (गोल्ड मेडलिस्ट), डी. फिल., डी.एस-सी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं । अब तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक आलेख प्रकाशित, पचास मौलिक शोध-पत्र प्रकाशित, विभिन्न वैज्ञानिक विषयों पर बीस मौलिक पुस्तकें प्रकाशित । विज्ञान परिषद् प्रयाग के संयुक्त मंत्री तथा ' विज्ञान ' मासिक पत्रिका के सह-संपादक । विज्ञान लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु ' डॉ. गोरख प्रसाद विज्ञान पुरस्कार ', ' ऊर्जा सरंक्षण पुरस्कार ' एवं ' विज्ञान व्यास ' सम्मान से सम्मानित ।
13 सितंबर, 1931 को जनमे डॉ. शिवगोपाल मिश्र विज्ञान जगत् के ख्याति-प्राप्त लेखक हैं । आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.एस-सी. (कृषि रसायन) तथा डी. फिल. की उपाधियाँ प्राप्त कीं । आपकी कई पुस्तकें एवं अनेकानेक शोधपरक निबंध प्रकाशित हुए हैं । प्रारंभ से ही हिंदी में रुचि होने के कारण 1952 से आप विज्ञान परिषद् प्रयाग से संबद्ध रहे हैं । आपने कई वर्षों तक मासिक पत्रिका ' विज्ञान ' का संपादन किया है ।
आपकी हिंदी सेवाओं के लिए 1993 में आपको ' डॉ. आत्माराम पुरस्कार ' से तथा 1996 में ' विज्ञान भूषण ' एवं 1997 में ' विज्ञान मार्तंड ' सम्मान से विभूषित किया गया ।
डॉ. दिनेश मणि
आपका जन्म 15 जून, 1965 को हुआ था । आपने इलाहाबाद विश्व - विद्यालय से एम.एस-सी. (गोल्ड मेडलिस्ट), डी. फिल., डी.एस-सी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं । अब तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक आलेख प्रकाशित, पचास मौलिक शोध-पत्र प्रकाशित, विभिन्न वैज्ञानिक विषयों पर बीस मौलिक पुस्तकें प्रकाशित । विज्ञान परिषद् प्रयाग के संयुक्त मंत्री तथा ' विज्ञान ' मासिक पत्रिका के सह-संपादक । विज्ञान लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु ' डॉ. गोरख प्रसाद विज्ञान पुरस्कार ', ' ऊर्जा सरंक्षण पुरस्कार ' एवं ' विज्ञान व्यास ' सम्मान से सम्मानित ।